सूत्रनेति में एक सूती कपड़े से तैयार पतली रस्सी को पहले नाक के दाएं नथुने से धीरे-धीरे अंदर डालकर सांस अंदर खींचें। इस धागे को मुंह से बाहर निकालकर बाएं नथुने से भी दोहराएं। दोनों नथुनों से ऐसा 10-20 बार करें।
जलनेति में नमक मिले गुनगुने पानी को रामझरे में भर लें। इसे ऊपर रख इसके मुंह को पहले नाक के दाएं नथुने पर लगाकर धीरे-धीरे पानी नाक में डालें। बाएं नथुने से बाहर निकालें। इस दौरान मुंह खोलकर रखें। नाक से ही सांस लें और छोड़ें।
– नाक में जमें बैक्टीरिया और गंदगी कि सफाई करता है।
– आंखों कि रौशनी बढ़ाता है।
– मस्तिष्क को तेज बनाता है।
– जुकाम-सर्दी होने के अवसर कम हो जाते हैं।
– सूत्रनेति / जलनेति की क्रिया करने से दमा, टी.बी., खाँसी, नकसीर, बहरापन आदि बीमीरियाँ दूर होती हैं।