तासीर में गर्म, रूखा और हल्का होने के कारण यह पित्त बनाता है। यह भूख बढ़ाने वाला होता है जिससे शरीर को ताकत भी मिलती है। मीठा होने के कारण वात को, कसैला होने के कारण पित्त को और तीखा होने के कारण कफ संबंधी समस्या दूर करता है।
जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द, कब्ज, त्वचा संबंधी रोगों, बालों से जुड़ी समस्या, खट्टी डकार, थायरॉइड, पेट, हृदय व मुंह संबंधी दिक्कत, सूजन, महिलाओं में गर्भाशय और हाई ब्लड प्रेशर संबंधी समस्याओं में इसके चूर्ण से लेकर काढ़ा भी प्रयोग में लिया जाता है। किसी भी तरह के घाव, सिरदर्द, फेफड़े संबंधी समस्या में भी उपयोगी है।
अकेले या इसे किसी अन्य जड़ीबूटी के साथ ले सकते हैं। जो इसे लेते हैं वे खटाई, मसालेदार व कच्चे पदार्थों से परहेज करें। प्रयोग के दौरान नशीली चीजें न लें। ज्यादा मात्रा में लेने से लिवर को नुकसान होगा। दुष्प्रभाव के रूप में इससे कमजोरी, मुंह में सूजन आ सकती है।