स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि विशेष परिस्थितियां जैसे बच्चे की स्थिति या कोई दुर्घटना की वजह से सिजेरियन डिलीवरी की जाती है लेकिन आजकल महिलाएं दर्द से बचने के लिए सामान्य स्थिति में भी सिजेरियन करवा रही हैं। सरकारी अस्पतालों में जहां सामान्य प्रसव पर जोर दिया जाता है, वहीं कुछ निजी अस्पताल महिला के कहने पर आसानी से सिजेरियन के लिए तैयार हो जाते हैं।
जयपुर ऑबस्टेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी सोसाइटी की मैंबर डॉ. प्रेमलता मित्तल ने बताया कि सिजेरियन के केस दिनचर्या में बदलाव, व्यायाम की कमी और महिलाओं की बदलती सोच की वजह से बढ़े हैं।
वैद्य विनोद शर्मा के अनुसार सामान्य प्रसव के लिए प्राणायाम, भस्त्रिका, तितली आसन, अनुलोम- विलोम, भ्रामरी और उद्गीत करना चाहिए। इससे हीमोग्लोबिन बढ़ता है। गर्भवती महिला को आंवला भी खाना चाहिए।
होम्योपैथ विशेषज्ञ डॉ. ममता बताती हैं कि गर्भवती महिला को पपीता और अनानास नहीं खाना चाहिए। ज्ञानमुद्रा, वायु मुद्रा और सूर्य मुद्रा करने से सामान्य प्रसव होता है। होम्योपैथी में ऐसी दवाइयां भी हैं जो सामान्य प्रसव में मदद करती हैं। लेकिन इन दिनों अधिकांश महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी चाहती हैं।
आकाश मुद्रा : कैल्शियम की कमी दूर करती है।
पृथ्वी मुद्रा : यह मुद्रा मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होती है। विटामिन की कमी दूर होती है।
सूर्य मुद्रा : तनाव दूर करती है और इससे बीपी व थाइरॉयड से बचा जा सकता है।
वरुण मुद्रा : इस मुद्रा से शरीर की सूजन कम होती है।
नॉर्मल और सिजेरियन दोनों केस में महिला के खानपान में ज्यादा अंतर नहीं होता। जो महिला एक्टिव रहती हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए घरेलू कामकाज करती हैं, उनके सामान्य प्रसव की संभावना ज्यादा होती है। जब तक कोई परेशानी न हो महिला ऑफिस जा सकती है। ज्यादा आराम करना और हर वक्त टीवी देखते रहना सही नहीं है। सामान्य प्रसव में महिला जल्दी पुरानी स्थिति में लौट आती है, वहीं सिजेरियन में महिलाओं को भविष्य में भी स्वास्थ समस्याएं होती हैं।