तेल मालिश से जोड़ों की मजबूती के अलावा त्वचा में नमी बरकरार रहती है। इससे शरीर में लचीलापन आने के साथ एनर्जी भी आती है और प्रमुख हार्मोन सही तरह से रिलीज होते हैं। अलग-अलग तेलों में मौजूद एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और विटामिन-ई व ए जैसे गुण रोगों से बचाव कर रक्तसंचार बेहतर करने और अंगों की जरूरत को पूरा करने में मदद करते हैं। मालिश के दौरान बच्चे का मां से भावनात्मक जुड़ाव बेहतर होता है।
जन्म के बाद एक साल तक तेल से मालिश शरीर के विकास और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। इसके अलावा इसे किसी भी उम्र में कर सकते हैं। खासकर बच्चों की तेल मालिश किसी भी समय कर सकते हैं बशर्ते बच्चा इसके लिए तैयार हो जैसे बच्चा खुश और शांत दिखे तो ही मालिश करें। उससे जबरदस्ती न करें और रोने के दौरान मालिश न करें। ठंडी हवा या खुले वातावरण के बजाय कमरे में 26 – 27 सेल्सियस तापमान यानी गर्म तापमान में करें। क्योंकि खुली हवा में मालिश से बच्चे को ठंड लग सकती है। जिससे निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है।
धूप में लिटाकर बच्चे की मालिश कर सकते हैं इससे उसे विटामिन-डी भी मिलेगा लेकिन यदि धूप में तेजी न हो। उसके रोने, चिड़चिड़ेपन, किसी रोग से पीडि़त होने या शारीरिक संरचना में गड़बड़ी होने पर मालिश करने से बचें। इस दौरान यदि वह हर बार रोए, त्वचा पर लाल दाने उभरें या परेशानी महसूस करे तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
मालिश के दौरान हल्के प्रेशर के हाथों से थोड़ा अधिक प्रेशर दें। इसके अलावा वातावरण के अनुरूप ही मालिश करें।