READ MORE : # topic of the dya रुस के पेरेस्त्रोइका की तरह संगठन बदले अपने चोला : चंद्राकर जब उससे पूछा गया की जगह जगह पर परिवार में बिखराव की स्थिति है वृद्धा आश्रम और डे सेन्टर बढ़े है। उन्होने कहा परिवार के बिखराव का सबसे बड़ा कारण है परिवार में वृद्धजनों का सम्मान कम होना भारतीय परम्परा में बुजुग ही एक ऐसी कडी है जो परिवार को सहेज कर सखता है जब उसी की उपेक्षा होने लगे तो वह परिवार को कैसे एकजुट रख सकता है वह आज के परिवेश में वृद्धाआश्रम में और डे सेन्टरों में रह रहा है जब वही घर में नही है तो परिवार में बिखराव की स्थिति आना स्वाभाविक है। उन्होने बताया कि बुजुर्गो के लिए शासन की कई योजनाएं काम कर रही है इसका लाभ मिल रहा है लेकिन यह कहना भी सही नही है कि योजना के बुजुर्गो को कल्याण हो रहा है गोवा या फिर साउथ के कुछ ऐसे जिले है जहां बुजुर्गों को इज्जत दी जाती है उनके एकाउंट में हजार पन्द्रह सौ जरूरत के अनुसार डाल दिया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की दलील रहती है कि वह दो रुपये किला चावल दे रही है इस कारण वृद्धा पेंशन तीन सौ पच्चास रुपये दिया जाता है जो आग की मंहगाई में काफी नही है। शासन को वृद्धो की अवश्यकताओं को देखते हुए इसे बढ़ाने की जरूरत है। अकले पन को लेकर उन्होने कहा पति या पत्नी की मृत्यु के बाद स्वाभिाविक है अकेलापन आना और इस अकेले पन को दूर करने के लिए ही शासन स्तर पर मनोरंजन के लिए ही डे सेन्टरों के संचालक की अवश्यकता है।