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नोटिस का जवाब नहीं देने पर अशोक ने उसके खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया। कोर्ट से नोटिस जाने पर बालकिशन ने 30 मार्च 2007 को उप पंजीयक कार्यालय से 50 रुपए के स्टॉप में अशोक के फर्जी हस्ताक्षर कर इकरारनाम तैयार कर लिया। इसमें उसने अशोक की पत्नी से 10 लाख रुपए में मकान का सौदा होने और ढाई लाख रुपए का भुगतान करने का उल्लेख किया था। साथ ही उसने 11 महीने में शेष रकम 7 लाख 50 हजार का भुगतान कर मकान की रजिस्ट्री करने की बात लिखी थी। इकरारनामे में उसने नोटरी के फर्जी सील व हस्ताक्षर करते हुए गवाह के रूप में दिलीप खण्डेलवाल एवं रमेश विधानी के हस्ताक्षर कराए थे। यही फर्जी इकरारनामा को उसने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए वर्ष 2014 में फैसला अशोक के पक्ष में देते हुए बाल किशन को मकान खाली करने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के बाद भी बालकिशन ने मकान खाली नहीं किया था।
डेढ़ साल पहले की थी शिकायत : अशोक ने फर्जी इकरारनामा तैयार करने की शिकायत 22 अगस्त 2016 को सिविल लाइन पुलिस, एसपी और आईजी से की थी। शिकायत पर अधिकारियों ने सिविल लाइन पुलिस को अपराध दर्ज करने के आदेश दिए थे। सिविल लाइन पुलिस ने डेढ़ साल बाद मामले में अपराध दर्ज किया है।