Teachers Day 2024: ये प्राइमरी स्कूल किसी कान्वेंट से कम नहीं, निजी स्कूल छोड़कर 42 बच्चों ने लिया एडमिशन, जानिए इसकी खासियत?
Bilaspur News: बिलासपुर के मस्तूरी के किरारी का प्राइमरी स्कूल किसी कान्वेंट से कम नहीं है। प्रधानपाठिका ने वेतन और इनाम की राशि से प्ले-ग्राउंड, एलईडी और नवाचार का प्रयोग किया है। इस सुविधाओं को देखते हुए निजी स्कूल छोड़कर 42 बच्चों ने यहां एडमिशन लिया है।
Teachers Day 2024: वेतन व इनाम के साथ ही लोगों से सहयोग के रूप में प्राप्त 8 लाख 75 हजार रुपए की लागत से एक शिक्षिका ने जर्जर सरकारी स्कूल का कायाकल्प ही कर दिया। रंग-बिरंगी तस्वीरों में पढ़ाई के नवाचार और कहानी किस्सों ने बच्चों को इतना आकर्षित किया कि निजी स्कूल छोड़ 42 बच्चें यहां पढ़ने पहुंच गए। यह स्कूल मस्तूरी ब्लॉक के ग्राम किरारी में है। यहां का प्राइमरी स्कूल किसी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं।
यहां की प्रधानपाठिका ज्योति पाण्डेय ने अपने निजी 8 लाख 75 हजार रुपए खर्च कर स्कूल की तस्वीर बदलकर रख दी है। यहां जर्जर दीवारों में रंग-रोगन कर पूरा पहाड़ा लिखवा दिया। तरह-तरह के पशु-पक्षियों की तस्वीर बनवाई। बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड बनाया। डिजिटल पढ़ाई के लिए एलईडी और प्रोजेक्टर तक की व्यवस्था कर दी। ऐसे में जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, वो भी यहां पढ़ने पहुंच रहे हैं। अब इस प्राइमरी स्कूल में 6 शिक्षक मिलकर यहां 164 बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
प्रधान पाठिका ज्योति पांडेय बच्चों को पढ़ाने के साथ ही सामाजिक गतिविधियों से भी जोड़ रही हैं। इको क्लब की स्थापना कराकर शिक्षक यहां बच्चों को बागवानी के (Teachers Day 2024) गुण भी सिखा रहे हैं। अब यहां के बच्चे खुद के उगाए हुए सब्जियों से ही मध्याह्न भोजन करते है। शिक्षिकाएं सब्जी के पौष्टिक गुणों को बताती हैं। रोग और दवा छिड़काव की प्रक्रिया भी बच्चे सीख रहे हैं।
दान और पुरस्कार की राशि भी स्कूल संवारने में
प्रधान पाठिका ज्योति के इस नवाचार को लेकर उन्हें 2020 में मुख्यमंत्री ने शिक्षक गौरव अलंकार से सम्मानित किया गया। 2021 में छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान और 2023 में राज्यपाल शिक्षक सम्मान भी मिला है। राज्यपाल से प्राप्त पुरस्कार के 21 हजार रुपए को भी स्कूल के लिए दान कर दिया। एक एनआरआई दंपती ने भी स्कूल के इस नवाचार और सुंदरता को देख 30 हजार रुपए की राशि दान की थी। ज्योति पाण्डे यहां बुलबुल क्लब का गठन कर 6 बच्चों को स्वर्ण पंख तक पहुंचा चुकी हैं।
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