जांच कमेंटी की जांच में यह बात सामने आई है कि घटना का कारण बैगन की पैरा मिटर लिमिट से अधिक होना बताया वही इंजीनियरिंग विभाग का पैरामिटर लिमिट के अंदर होना बताया है। रेलपथ नीयम के पैरा मीटर 536 के तहत इंजीनियरिंग विभाग तहत आने वाले सारे नियम लिमिट में है।
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कमेटी ने इंजीनियरिंग व वैगन एंड कैरेज विभाग को संयुक्त रूप से दोषी माना था, जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होनी थी लेकिन महाप्रबंधक एसईसीआर ने वैगन एंड कैरेज को क्लीन चिट देते हुए इंजीनियरिंग विभाग पर घटना होने का जिम्मेदार बना दिया गया।
महाप्रबंधक द्वारा द्वेष पूर्ण कार्रवाई के विरोध में इंजीनियरिंग विभाग ने र्मोचा खोल दिया है। इंजीनियरिंग विभाग का कहना है कि जांच कमेटी रेलवे मुख्यालय में बनाई थी। टीम में उपमुख्य संरक्षा अधिकारी इंजीनियरिंग नारायण लाल, नवनीत राज उपमुख्य सरंक्षा अधिकारी, उप मुख्य संरक्षा अधिकारी इलेक्ट्रीकल राजेश सिंह, उपमुख्य मैकेनिकल इंजीनियर जीएन सिंह व वरिष्ठ सरंक्षा अधिाकीर केवी रमना ने जांच की है। जांच रिपोर्ट में जो लिखा था उसका या तो पूरी तरह पालन किया जाना था या फिर जांच रिपोर्ट को खारिज कर दूबारा जांच होनी चाहिए थी।
लेकिन महाप्रबंधक गौतम बनर्जी द्वारा इंजीनियरिंंग विभाग को निशाना बनाया गया है। यह समझ से परे है। एसोसिएशन ने इस कार्रवाई को न्यायालय में चुनौती देने की योजना पर भी विचार कर रहा है। पूरे मामले को रेलवे सीपीआरओ साकेत रंजन का कहना है कि संरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्रथामिकता है। जांच के बाद लापरवाही करने वालो को सजा मिलती है। नियमानुसार कार्रवाई होती है।