पं.द्विवेदी ने बताया कि आदों में अपने पितरों मृत्यु तिथि के दिन पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मणों को भोजन, नए कपड़े, फल, मिठाई सहित दक्षिणा ब्राह्मणों को दान देने के बाद गरीबों को खाना खिलाना भी जरूरी है। श्राद्ध करने से व्यक्ति पितृ ऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है।