शुक्रवार को एसपी रजनेश सिंह ने पत्रकारों से चर्चा में ये जानकारी दी कि 23 अक्टूबर 2024 को जीआरपी पुलिस की सघन जांच में योगेश सोंधिया और रोहित द्विवेदी 20 किलो गांजा के साथ पकड़े गए थे।
बिलासपुर पुलिस ने उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था।
Chhattisgarh News: परिजनों के नाम पर चल-अचल संपत्तियों में किया निवेश
जांच में पुलिस को पता चला कि इस अवैध कारोबार में जीआरपी के चार आरक्षक लक्ष्मण गाईन, मन्नू प्रजापति, संतोष राठौर और सौरभ नागवंशी भी शामिल हैं। दरअसल आरोपी आरक्षक ट्रेन में गश्त और चेकिंग ड्यूटी के दौरान गांजा जब्त करते थे। इसके बाद वे अपने दो सहयोगियों, योगेश सोंधिया उर्फ गुड्डू और श्यामधर चौधरी उर्फ छोटू की मदद से इसे तस्करी के लिए बुलाए गए खरीदारों को ट्रेन में ही बेच देते थे। आरोपियों ने महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, गोंदिया, चांपा, सक्ती और रायगढ़ जैसे कई रेलवे स्टेशनों पर यह अवैध कारोबार फैलाया हुआ था। पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपी आरक्षकों ने गांजा तस्करी से अर्जित धनराशि को अपने और अपने परिजनों के नाम पर चल-अचल संपत्तियों में निवेश किया। लिहाजा इन्हीं अवैध संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई और आखिरकार शुक्रवार को पुलिस ने इसे अंजाम भी दे दिया है।
इनकी इतनी संपत्ति जब्त
लक्ष्मण गाईन, निवासी ग्राम जुगानी कैंप, जिला कोंडागांव भूखंड व मकान: मौजा सिरगिट्टी, तहसील बिल्हा में ₹50 लाख की अनुमानित बाजार कीमत का मकान। वाहन: हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल, कीमत ₹2.8 लाख एवं टाटा सफारी कार, कीमत ₹20 लाख।
मन्नू प्रजापति, निवासी ग्राम रवेली, जिला गरियाबंद भूखंड: सिरगिट्टी, बिलासपुर में 2 भूखंड, जिनकी कुल कीमत ₹50 लाख। इसके अलावा नगपुरा बोदरी, बिलासपुर में ₹15 लाख की जमीन। संतोष राठौर, ग्राम फरसवानी, थाना उरगा, जिला कोरबा
भूखंड: फरसवानी, कोरबा में ₹10 लाख की जमीन वाहन: हुंडई वेन्यू कार, कीमत ₹5 लाख
सफेमा कोर्ट भेजी गई जब्ती की रिपोर्ट
Chhattisgarh News: पुलिस ने
एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोपियों की संपत्तियों को जब्त और फ्रीज कर दिया है। आगे की कार्रवाई के लिए सफेमा कोर्ट, मुंबई को इसका प्रतिवेदन भेजा गया है। यह कोर्ट विशेष रूप से नशीले पदार्थों और अवैध तस्करी से अर्जित संपत्तियों की जब्ती पर सुनवाई करता है।
पुलिस अधीक्षक, रजनेश सिंह: पुलिस नशे के अवैध कारोबार की जड़ तक पहुंचने और इसे जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले में ‘इंड-टू-इंड’ जांच प्रक्रिया ने यह सुनिश्चित किया कि आरोपी कानून के दायरे से बाहर न जा सकें।