क्रम गड़बड़ाने से उनके उत्तर गलत हो गए। राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल जज परीक्षा 2023 (एंट्री लेवल) का अंतिम परिणाम 8 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित किया गया था। इस परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों श्रेया उर्मलिया, हेमंत प्रसाद, पराग उपाध्याय, अनुराग केवट, हेमू भारद्वाज समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर परिणाम को चुनौती देते हुए कहा कि आयोग के परीक्षकों ने उनकी आंसरशीट को ठीक से जांचा नहीं है।
Civil Judge Exam: आंसर लिखने में इस तरह हुई गड़बड़ी
इस परीक्षा में पैटर्न बदला गया था। इसके अनुसार अभ्यर्थियों को प्रश्न के ठीक नीचे ही दिए गये बॉक्स में उत्तर लिखना था और क्रमानुसार ही उत्तर देने थे। याचिकाकर्ताओं ने जवाब लिखते समय क्रम का ध्यान नहीं रखा और प्रश्न के नीचे संबंधित के बजाय अन्य प्रश्न का उत्तर लिख दिया। इसी वजह से पूर्व में दिए गए आयोग के निर्देशानुसार इन जवाबों की जांच नहीं की गई। जब मुख्य परिणाम जारी हुए तो उनमें याचिकाकर्ताओं को सफलता नहीं मिली। पीएससी का तर्क, स्पष्ट निर्देश फिर भी गलती
जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। छत्तीसगढ़ पीएससी के अधिवक्ता डॉ. सुदीप अग्रवाल ने पैरवी करते हुए यह तथ्य पेश किया कि उत्तर पुस्तिका में पहले ही यह बात उल्लेखित कर दी गई थी कि पूछे गए प्रश्न के नीचे दिए गए निर्धारित सीमित स्थान पर ही उस प्रश्न का जवाब देना है अन्यथा दिया गया जवाब नहीं जांची जाएगी। स्पष्ट निर्देश के बाद भी ऐसी गलती की गई।