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बिलासपुर

HINDU RASHTRA भारत हिंदू राष्ट्र बनकर रहेगा : मैंने कहा था साढ़े तीन साल, छह माह बीत गए हैं – स्वामी निश्चलानंद

– दो दिवसीय हिंदू राष्ट्र (hindu nation) संगोष्ठी में शामिल हुए स्वामी
– अंग्रेजों की कूटनीति के प्रभाव में आकर प्रथम प्रधानमंत्री ने कहा था कि संस्कृत इस ए डेड लैंग्वेज (sanskrit language) यानी संस्कृत मृत भाषा है

बिलासपुरFeb 13, 2022 / 02:27 am

JYANT KUMAR SINGH

 श्रीगोवर्धनमठ शंकराचार्य स्वामीनिश्चलानंद सरस्वती

हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी के प्रथम सत्र में धर्म अध्यात्म एवं राष्ट्र से संबंधित विभिन्न जिज्ञासाओं पर लोगों को संबोंधित कर रहे थे

बिलासपुर. श्रीगोवर्धनमठ शंकराचार्य स्वामीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि भाद्र के महीने में हिंदू राष्ट्र (hindu nation) के बारे में हमने ही कहा था, उसी की लहर चल पड़ी है। सब के पूर्वज सनातनी वैदिक (vaidik) आर्य हिंदू थे। धर्म और ब्रह्म के मर्मज्ञ थे, लौकिक और पारलौकिक उत्कर्ष तथा परमात्मा प्राप्ति का मार्ग भी उनके पास प्रशस्त था। हमने कहा था कि साढ़े तीन वर्षों में भारत हिंदू राष्ट्र (hindu rashtra) बन जाएगा 6 महीने तो बीत ही गए। भारत हिंदू राष्ट्र बन के रहेगा। दरअसल शनिवार को स्वामी निश्चलानंद गीता भवन में आयोजित दो दिवसीय हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी के प्रथम सत्र में धर्म अध्यात्म एवं राष्ट्र से संबंधित विभिन्न जिज्ञासाओं पर लोगों को संबोंधित कर रहे थे।
 हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी बिलासपुर
IMAGE CREDIT: patrika bilaspur
पहले पीएम ने कहा था संस्कृत इस ए डेड लैंग्वेज
कार्यक्रम के दौरान संस्कृत (sanskrit) विषय को केवल कर्मकांड का विषय बना कर रख देने के सवाल पर उन्होंने बतलाया कि अंग्रेजों की कूटनीति के प्रभाव में आकर प्रथम प्रधानमंत्री ने कहा था कि संस्कृत इस ए डेड लैंग्वेज (sanskrit is a dead language) यानी संस्कृत मृत भाषा है। इस प्रकार स्वतंत्र भारत में संस्कृत और संस्कृति के प्रति अनास्था उत्पन्न कर दी गई। फलस्वरूप संस्कृत वाले केवल ज्योतिषी, वैद्य, कथावाचक, कर्मकांडी इत्यादि पांच जीविका तक ही सीमित रह गए जबकि अंग्रेजी भाषा वालों के लिए पचासों जीविका के स्रोत सुरक्षित रखे गए हैं। संस्कृत और संस्कृति जिसके जीवन में नहीं है वह असंस्कृत हो जाता है इसे समझने की आवश्यकता है।
नेताओं ने फूट डाला
श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा की चंद्र, सूर्य और अग्नि भगवान के तीन नेत्र हैं इसी प्रकार ज्ञान, वैराग्य और भक्ति तथा नाद, बिंदु और कला यह भी भगवान के तीन नेत्र हैं ज्ञानाग्नि का प्रतीक तीसरा नेत्र है। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई भाई के विषय पर उन्होंने कहा कि भाईचारा अपनत्व का द्योतक है नेताओं ने फूट डाली है। भावनात्मक दृष्टि से “भाई मेरे” का संबंध बनाया गया था, विकास के नाम पर कुल धर्म और जाति धर्म को विकृत करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

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