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बिलासपुर

10 अस्पताल में 51 वेंटिलेटर और एक्टिव मरीज दो हजार से ज्यादा, जरुरत से आधी है उपलब्धता

कोरोना मरीजों के लिए जिले में दो सरकारी रेलवे और जिला चिकित्सालय यानी कोविड अस्पताल है। रेलवे में वेंटिलेटर नहीं हैं। जिला कोविड अस्पताल में 7 वेंटिलेटर हैं जो अक्सर भरे रहते हैं। पूरी सरकारी व्यवस्था में सिर्फ जिला कोविड अस्पताल में ही गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था है।

बिलासपुरSep 30, 2020 / 02:36 pm

Karunakant Chaubey

बिलासपुर. जिला कोरोना से लडऩे के लिए अभी सक्षम नहीं हो पाया है। इसी कारण लगातार मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं। एक तरफ मरीज इलाज को मोहताज हैं तो इधर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के दावे बड़े हैं जबकि हकीकत पर गौर करें तो चारों तरफ अव्यवस्था फैली है। कोरोना मरीजों के लिए जिले में दो सरकारी रेलवे और जिला चिकित्सालय यानी कोविड अस्पताल है। रेलवे में वेंटिलेटर नहीं हैं। जिला कोविड अस्पताल में 7 वेंटिलेटर हैं जो अक्सर भरे रहते हैं। पूरी सरकारी व्यवस्था में सिर्फ जिला कोविड अस्पताल में ही गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था है।

सिम्स की बात करें तो यहंा कोरोना मरीजों का इलाज नहीं किया जाता, लेकिन यहंा सर्दी, खांसी, बुखार और जुकाम से पीडि़त मरीजों के लिए कोविड आइसोलेशन वार्ड है, जहंा 10 वेंटिलेटर हंै। यहंा संदेही मरीजों को भर्ती कर इलाज होता है, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही उन्हें कोविड या फिर कहीं और रेफर कर दिया जाता है। बिलासपुर में आठ निजी और दो सरकारी अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं। 10 अस्पतालों में 51 वेंटिलेटर हैं। जबकि जिले में एक्टिव केस 2245 हैं। 680 से अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं।

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अन्य होम आइसोलेशन में हंै। ऐसे में अधिकरियों से वेंटिलेटर की वर्तमान स्थिती पूछने पर वो खुद कह रहें है। कि 10 प्रतिशत मरीज को वेंटिलेटर की जारुरत पड़ती है लेकिन जिले में मात्र 5 प्रतिशत मरीजों के उपचार के लिए मुश्किल से वेंटिलेटर की व्यवस्था हो पाई है। अब ऐसे में ये सवाल उठता है। कि बाकि के मरीज कहा जाए। शायद यही कारण है कि गंभीर स्थिती में वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण रोजना जिला कोविड़ अस्पताल में मरीज की मौत हो रही है।

इसलिए बढ़ रहें है मौत के आंकड़े

सीएमएचओ डॉ. महाजन के अनुसार 10 प्रतिशत मरीजों को वेंटिलेटर की जरुरत पड़ रही है। इस हिसाब से जिले में वेंटिलेटर की कमी है। क्योंकि 2245 एक्टिव केस हैं, इसका 10 फीसदी निकालेंगे तो 224 मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत है, जबकि हमारे पास सिर्फ 51 वेंटिलेटर हैं जो लगभग भरे रहते हैं। यानी 173 मरीजों को जरूरत होने के बाद भी वेंटिलेटर पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसी कारण जिले में मौतों के आंकड़े हर दिन बढ़ते जा रहे हैं।

जिले में वेंटिलेटर की वास्तविक स्थिती

सरकारी अस्पतालों की कमी को देखते हुए जिले के अधिकारियों ने निजी अस्पतालों को कोरोना पीडि़तों के इलाज के लिए आगे आने दबाव बनाया। नौव निजी अस्पताल कोविड का इलाज कर रहे हैं। नौ अस्पतालों में 44 वेंटिलेटर हैं जहंा कोरोना मरीजों को इलाज चल रहा है। अपोलो में 2, महादेव 11, केयर एंड क्योर 6, श्री राम केयर 7, किम्स 2, आरबी 10, स्काई 4, एसकेबी 2 और जिला कोविड अस्पताल में के सात मिलाकर जिले में 51 वेंटिलेटर हैं। लगभग सभी वेंटिलेटर पर मरीजों का इलाज चलता रहता है।

वेंटिलेटर के आंकड़े में फसे सीएमएचओ दावा फेल

सीएमएचओ डा. प्रमोद महाजन ने 10 फीसदी कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ता भी बताया साथ ही ये भी दावा किया कि हमारे यहाँ पर्याप्त वेंटिलेटर हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े खुद बता रहे हैं कि बिलासपुर में वेंटिलेटर की कमी है।

जिले के आठ निजी अस्पतालों में 44 और जिला कोविड अस्पताल के 7 वेंटिलेटर को मिलाकर कुल 51 वेंटिलेटर कोविड के लिए हैं। जबकि औसत 224 मरीजों को इसकी जरूरत है। तो फिर कहंा पर्याप्त वेंटिलेटर हैं। ऐसे में अब डॉ. महाजन झुठे है। या फिर सरकारी आंकड़ा गलत है।

सवाल: औसत कितने फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है?

जवाब: सितंबर महीने में संक्रमण तेजी से बढ़ा है, इसलिए वर्तमान में मरीजों को वेंटिलेटर की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। कहा जाए तो 10 फीसदी कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है।

सवाल: जिले में कितना वेंटिलेटर वर्तमान में कोरोना मरीज के लिए है?

जवाब: जिले के 10 अस्पताल में 51 वेंटिलेटर उपलब्ध है। जहंा गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है।

सवाल: कितने सरकरी व कितने निजी अस्पताल में कोविड का इलाज किया जा रहा है?

जवाब: सरकारी में जिला कोविड हॉस्पिटल जहंा 100 बिस्तर, रेलवे हॉस्पिटल जहंा 75 में मरीजों का इलाज किया जाता है। वहीं 9 निजी अस्पताल को कोरोना मरीज के इलाज के लिए अनुमति दी गई है। सरकारी में नि:शुल्क और निजी में मरीजों को खुद इलाज की राशि भुगतान करना पडेगा।

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