पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। डिवीजन बेंच ने आदेश में कहा कि अगर पत्नी पति के साथ रहने की जिद करती है और बिना किसी बाहरी कारण या आधिकारिक कारण के अगर पति उसे अपने साथ जॉब पोस्टिंग वाली जगह पर रखने से इंकार करता है, तो इसे पत्नी द्वारा पति के प्रति क्रूरता नहीं कहा जा सकता।
यह था मामला साल 2005 में हुए विवाह के एक मामले में कुछ समय तक पति पत्नी खुशी से रहे। लेकिन धीरे-धीरे चीजें खराब हो गईं। पति का आरोप है कि पत्नी ससुराल वालों के साथ नहीं बल्कि अलग रहने की जिद कर रही थी। हालांकि, जब पति ने उसके अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया, तो वह अक्सर झगड़े पर उतारू हो जाती थी। पति ने आगे कहा कि जून 2009 में पत्नी ने स्वेच्छा से वैवाहिक घर छोड़ दिया और दिसंबर 2009 में वापस लौटी। उसने बिना किसी कारण के फिर से वैवाहिक घर छोड़ दिया।
आगे आरोप लगाया कि 2012 में उसकी मां और 2015 में पिता की मृत्यु के बाद जब उसने उससे ससुराल लौटने को कहा तो उसने वापस आने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर, पत्नी का कहना था कि जब उसने पति से जिद की कि वो उसे अपनी पोस्टिंग वाली जगह पर ले जाए और वहां साथ रखे, तो उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया। पत्नी का कहना था कि पति की लगातार उपेक्षा के कारण उसने वैवाहिक घर छोड़ दिया।
कोर्ट ने पाया,पति नहीं रखना चाह रहा पत्नी को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के तथ्य और प्रमाणों के आधार पर पाया कि पति ने खुद पत्नी को अपनी पोस्टिंग के स्थान पर अपने साथ रहने की अनुमति देने से मना कर दिया था। अगर पत्नी अपने माता-पिता के घर में रह रही है तो पति को उसे वापस लाने का प्रयास करना चाहिए था। इन आधारों पर हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज कर दिया और साथ ही पति को अपनी पत्नी को 15 हजार रुपए अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।