राज्य शासन ने मई 2023 को प्राइमरी स्कूल में सहायक शिक्षक के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। इसमें आवेदक को बीएड डिग्री या डीएड डिप्लोमा होना अनिवार्य किया गया था। परीक्षा आयोजित कर जुलाई में परिणाम घोषित कर अगस्त में नियुक्ति आदेश जारी किया गया। इस परीक्षा में बीएड डिग्री धारी उम्मीदवारों का मैरिट के आधार पर चयन हुआ। इसके खिलाफ डीएड डिप्लोमा धारकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद भर्ती पर स्टे लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई थी नए सिरे से सुनवाई भर्ती पर स्टे के दौरान ही डीएड डिप्लोमा वाले एक उम्मीदवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लेख किया। इसमें राजस्थान सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर भर्ती में डीएड को मान्य किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अधिसूचना को गलत ठहराया और भर्ती पर स्टे को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट को मामले में नए सिरे से सुनवाई कर निर्णय का निर्देश दिया था। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
फैसले में सहायक शिक्षक पद के लिए बीएड को अनुपयुक्त माना कोर्ट ने 29 फरवरी 2024 को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच में अंतिम सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया था। आज फैसला जारी करते हुए कोर्ट ने बीएड डिग्री को सहायक शिक्षक पद के लिए अनुपयुक्त माना है। साथ ही जिन बीएड डिग्री धारी अभ्यार्थियों की नियुक्ति सहायक शिक्षक के पदों पर हो चुकी है उन्हें भी सेवा से पृथक करने के निर्देश जारी किए हैं। रिक्त हुए पदों के लिए डीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों की पुनरीक्षित सूची जारी करने के निर्देश दिए हैं।
बीएड डिग्री धारकों की हस्तक्षेप याचिका पर भी हुई थी सुनवाई चयनित बीएड डिग्री वाले अभ्यर्थियों को पक्षकार नहीं बनाने पर उन्होंने अलग से हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उनका पक्ष भी सुनकर फैसला जारी किया है।