धर्म, तिलक-जनेऊ की रक्षा करने के लिए शहीद हुए गुरु तेग बहादुर
बिलासपुर. बुधवार को दयालबंद स्थित गुरुद्वारे में धन-धन तेग बहादुर का शहीदी दिवस श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सिख समुदाय द्वारा विविध धार्मिक आयोजन व भंडारा आयोजित किया गया। शहीदी दिवस के मौके पर हरदीप सिंह पिलवानी अंबाला वाले विशेष रूप से पहुंचे। उन्होंने गुरुवाणी कीर्तन, गुरुवानी विचार, साध-संगत की। इस मौके पर बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग मौजूद रहे। धार्मिक आयोजन के साथ लंगर आयोजित किया गया और श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इसके बाद अरदास एवं प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर दयालबंद गुरुद्वारे से हजुरी रागी जत्था सतनाम सिंह, मुख ग्रंथी मानसिंह बडला ने भी कीर्तन किया। धर्म गुरु ने कहा कि नवम गुरु गुरु तेग बहादुर ने हिंदु धर्म, तिलक व जनेऊ की रक्षा हेतू अपना बिलदान दिया। जब कश्मीर के पंडित, पंडित किरपाराम की अगुवाई में गुरु तेग बहादुर के पास आनंदपुर साहेब आए तब वे गहरी सोच में विचारमान बैठे थे। तब उनके पुत्र दशम गुरु ने नौ वर्ष की अल्पायु में पिताजी से पूछा आप किस सोच में बैठे हैं। उन्होंने कहा कि ङ्क्षहदु धर्म की रक्षा के लिए किसी महान पुरुष को बलिदान देना पड़ेगा। तब गोविंद राय ने कहा कि पिताजी आप से महान कौन हो सकता है। तब अगली सुबह गुरु तेग बहादुर ने पंडित किरपा राम से कहा कल जाकर औरंगजेब से कह दें कि यदि गुरु तेग बहादुर इस्लाम कबूल कर लेते हैं तो हम सब कबूल लेंगे। इसके बाद गुरु तेग बहादुर अपने सिखों के साथ दिल्ली कूच कर गए।
IMAGE CREDIT: patrika जहां उन्होंने गिरफ्तारी दी। उन्हें विचलित करने के लिए उनके सामने उनके सिख भाई दयालाजी, भाई मतीदास, सतीदास को शहीद किया गया। उबलते पानी से भी जलाया गया लेकिन गुरु तेग बहादुर विचलित नहीं हुए। उन्हें चांदनी चौक दिल्ली में शहीद किया गया। जहां आज गुरुद्वारा शीशगंज साहेब विद्यमान है। हिंदु धर्म, तिलक व जनेऊ की रक्षा के लिए वे शहीद हुए इसलिए कहा गया कि गुरु तेग बहादुर ङ्क्षहद की चादर। शहीदी दिवस को लेकर तीन दिनों से आयोजित हो रहा कीर्तन : दयालबंद गुरुद्वारा सचिव परमजीत सिंह सलूजा ने बताया कि 12 दिसंबर शहीदी दिवस को लेकर विगत तीन दिनों से धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। 10, 11, 12 दिसंबर को गुरुद्वारे में कीर्तन किया गया। शहीदी दिवस में कीर्तन पिलखनी हरियाणा अंबाला वाले भाई साहब हरदीप सिंघ पहुंचे हैं, जो मनोहर कीर्तन राही, साघ-संगत को निहाल कर रहे हैं। आयोजन में समाज के महिला-पुरुष व बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। समाज के अन्य वर्ग के लोग भी लंगर में प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे।