Father’s Day 2024: वह मौजूदा समय में पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत हैं। वह चाहते थे कि उनकी
बेटियां आत्मनिर्भर बनें और अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी बेटियों को कराटे कक्षाओं में भेजना शुरू किया। देखते ही देखते दोनों बहनों को कराटे का खेल भाने लग गया। अतुल बताते हैं कि वह इस बात को भलीभांति समझते हैं कि बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं होतीं। अतुल बताते हैं कि मेरा सपना है कि उनकी दोनों बेटियां खेल के क्षेत्र में कुछ बेहतर करें, उन्हें पहचान मिले।
Father’s Day 2024: डर दूर करना था उद्देश्य
उनके पिता बताते हैं कि वह चाहते थे कि बेटियों को ऐसे खेल के लिए प्रेरित करें जिससे वह मानसिक के साथ साथ शारीरिक रूप से भी मजबूत बनें। ताकि जीवन की चुनौतियों का सामना डटकर कर सकें। जब उन्होंने अपनी बेटियों को कराटे खेल की ट्रेनिंग के लिए भेजा तब उनकी बेटियों को यह ज्यादा पसंद नहीं आया और वह इसकी शिकायत भी किया करती थीं। श्रेयांशी और वैष्णवी की कोच किरण साहू की कहानी भी इन्हीं के जैसी है। किरण के पिता खुद कराटे के खिलाड़ी रहे हैं। उनकी कोच भी दोनों के लिए प्रेरणा हैं।
सोच यह: अगर बेटियों को सपोर्ट करेंगे तो वे भी हर मुकाम हासिल कर सकती हैं।
बेटियों के नाम से जाने जाते
वैसे तो खुद श्रेयांशी और वैष्णवी के पिता शहर के जाने माने व्यक्ति हैं लेकिन लोग जब उन्हें श्रेयांशी व वैष्णवी के पिता के तौर पर संबोधित करते हैं तो वह गर्व का अहसास करते हैं।
अब तक दर्जनों पदक
दोनों बहनों ने 2019 में कराटे खेलना शुरू किया। शुरुआती दिनों में उत्साह के साथ डर का सामना करते हुए श्रेयांशी और वैष्णवी ने अपने खेल की पहल की। श्रेयांशी के पास 28 व वैष्णवी के नाम 25 पदक हैं। Story By – आलोक मिश्रा