मामले में फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिग्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले के विरुध्द पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पाया कि पत्नी के व्यवहार के कारण साथ रहना संभव नहीं, इसलिए याचिका खारिज कर दी।
Bilaspur High Court: समझौते की कोशिश नाकाम
उल्लेखनीय है कि विवाह के कुछ समय बाद ही पति- पत्नी में विवाद शुरू हो गया था। पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हो गई, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इंकार कर दिया। स्वजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। हालत यह हुई के पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे। पत्नी का संदेहपूर्ण व्यवहार असहनीय
पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिग्री के लिए
फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया। पत्नी ने अपने लिखित बयान में आरोपों से इन्कार किया और पति का मामला खारिज करने की मांग की। (Bilaspur High Court) पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने। शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक पति के साथ उसने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया।
सभ्य व्यक्ति के लिए यह सहन योग्य नहीं
Bilaspur High Court: फैमिली कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्नी ने कहा कि पति का ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया। लेकिन यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया। पति ने कोर्ट को बताया कि पत्नी को उसकी भाभी के साथ भी संबंधों पर संदेह था। ऐसे आरोप किसी सभ्य व्यक्ति के लिए सहन करने योग्य नहीं हैं। यहां देखें इससे संबंधित खबरें
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