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बिलासपुर

कांग्रेस में सियासी उथल-पुथल तेज, बिलासपुर लोकसभा सीट पर वरिष्ठ नेताओं ने जताया विरोध…सामने आई यह बड़ी वजह

CG Loksabha Election 2024: बिलासपुर लोस सीट पर टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में भारी उथल-पुथल मचा हुआ है। अपने लिए टिकट का कयास लगा रखे वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो न मिलने पर मायूसी छाई हुई है।

बिलासपुरApr 01, 2024 / 12:26 pm

Khyati Parihar

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Lok Sabha Election 2024: बिलासपुर लोस सीट पर टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में भारी उथल-पुथल मचा हुआ है। अपने लिए टिकट का कयास लगा रखे वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो न मिलने पर मायूसी छाई हुई है।
लोकसभा सीट पर टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। पिछले दिनों एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता जगदीश प्रसाद कौशिक तो ऐसे भड़के कि 50 घंटे का आमरण अनशन ही कर दिया। हालांकि फिर इन्हें किसी तरह मांग पूरी होने का आश्वासन देकर मना लिया गया। इधर पार्टी के बहुत से ऐसे नेता भी हैं जो खुल कर अपना विरोध तो नहीं जता रहे, पर अंदर ही अंदर उनमें कसक बनी हुई है। यही वजह है कि जल्द ही बिलासपुर व मरवाही के दिग्गज कांग्रेस नेता बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दलबदल का मन बना रहे हैं। यानी इस अंदरूनी कलह से कांग्रेस में भारी टूट के आसार हैं।
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कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट के लिए इस बार भिलाई के देवेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। जिससे अपनी उम्मीदवारी का कयास लगा रहे जिले के वरिष्ठ नेताओं में मायूसी छाई हुई है। अन्य लोकसभा सीटों में भी टिकट बंटवारे को लेकर भारी नाराजगी है। हालांकि वर्तमान में दिखावे के लिए बेमन से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं, पर अंदर ही अंदर भारी असंतोष पनप रहा है। पिछले दिनों कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता जगदीश प्रसाद कौशिक ने तो बिलासपुर लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी चयन के फैसले का खुल कर विरोध करते हुए आमरण अनशन तक कर डाला। हालांकि कांग्रेस के पदाधिकारियों ने उनकी मांग पूरी होने का आश्वासन देते हुए किसी तरह मना कर अनशन तुड़वाया, पर आश्वासन पूरा न होने पर कौशिक फिर से विरोध प्रदर्शन करने के संकेत दिए थे। इधर पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेता भले ही खुल कर विरोध प्रदर्शन न कर रहे हों, पर अंदरूनी रूप से प्रचार-प्रसार में ही उनकी सक्रियता नहीं दिखाई दे रही है। यह स्थिति कहीं पार्टी के लिए घातक न सिद्ध हो जाए।
स्थानीय वरिष्ठ नेताओं को सबसे ज्यादा इस बात की टीस है कि टिकट को लेकर पहले उनकी विधानसभा और फिर अब लोकसभा चुनाव में भी अनदेखी की गई। नाम न छापने की शर्त पर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि वे सालों साल तन-मन-धन से पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं, इसके बावजूद उनकी उपेक्षा अब राश नहीं आ रही है। ऐसे में भले ही ये नेता पार्टी को दिखाने के लिए बाहरी तौर पर चुनाव-प्रचार में अपनी सक्रियता दिखा रहे हों, पर हकीकत में भितरघात का खतरा पार्टी पर मडरा रहा है।
कांग्रेस की इसी अंदरूनी कलह के चलते जल्द पहले मरवाही और फिर उसके बाद बिलासपुर में भारी टूट के आसार हैं। स्थिति तो ये बन रही है कि वरिष्ठ नेता अपने साथ बड़ी संख्या में पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को लेकर दलबदल करने वाले हैं।

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