बिलासपुर। पाठकों की पहली पसंद के साथ पत्रिका व राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान की सम्मिलित औसत पाठक संख्या में एक बार फिर सिरमौर रहा है। इस अवसर पर
बिलासपुर पत्रिका के यूनिट हेड द्वारा
केक काटा गया। जिसमें पत्रिका बिलासपुर परिवार के सभी सहयोगी, कर्मचारी, सम्पादकीय विभाग, मार्केटिंग विभाग और अन्य सभी शामिल हुए। यूनिट हेड दिनेश जैन ने सभी को इस ख़ास अवसर पर बधाई दी और भविष्य में आकड़ों को और ऊपर ले जाने की आशा की। भारतीय पाठक सर्वेक्षण (आईआरएस)- 2017 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक आपकी पत्रिका ने यह गौरव हासिल किया है। आईआरएस के मुताबिक तीनों राज्यों की कुल औसत दैनिक पाठक संख्या 1 करोड़ 7 लाख 18 हजार हो गई है। यह प्रतिस्पर्धी समाचार पत्र की औसत दैनिक पाठक संख्या से लगभग 14 लाख से अधिक है।
लगभग चार साल के इंतजार के बाद भारतीय पाठक सर्वेक्षण -2017 के आंकड़े मीडिया इंडस्ट्रीज के सम्मुख प्रस्तुत किए गए। यह हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे आधुनिक पाठक सर्वेक्षण है। सर्वेक्षण के नतीजे गुरुवार को मुम्बई में जारी किए गए। देश भर में करीब 3 लाख 20 हजार परिवारों का सर्वेक्षण अनूठे डबल स्क्रीन पर्सनल कम्प्यूटर के माध्यम से किया गया जिसमें सर्वे के दौरान पाठक और साक्षात्कारकर्ता की बातचीत भी रिकॉर्ड की गई। ऐसा आंकड़ों को और प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए किया गया। वर्ष 2014 में किए गए इस तरह के सर्वेक्षण को कुछ समाचार पत्रों ने नकार दिया था। पूर्व सर्वे में जो आपत्तियां थी उनको
ध्यान में रखते हुए इस सर्वे प्रक्रिया में व्यापक बदलाव किया गया। पत्रिका ने मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजस्थान में भी अपनी निर्भीक पत्रकारिता के दम पर पाठकों में पैठ बनाई है। धारदार खबरों के साथ-साथ जनसरोकारों से जुड़े कामों को लेकर भी पत्रिका की अलग पहचान है। इन आंकड़ों ने यह भी साबित किया है कि पाठक अवसरवादी पत्रकारिता को नकारते हुए मूल्य आधारित एवं सकारात्मक पत्रकारिता को समर्थन देते हैं। पत्रिका समूह हमेशा अपने पाठकों केे हितों की लड़ाई लड़ता रहा है। चाहे इसके लिए उसे सरकारों का कोपभाजन ही क्यों नहीं बनना पड़ा हो? सरकारों के अविवेकपूर्ण फैसलों की खिलाफत करते हुए पत्रिका जिस तरह से निर्भीकता से मुकाबला कर रही है वह सबके सामने हैं। इसी के परिणामस्वरूप पत्रिका अपने प्रतिस्पर्धी से आगे है। अपनी यह सफलता हम अपने पाठकों को ही समर्पित करते हैं क्योंकि उनके सहयोग से ही यह इतिहास रचा गया है।