जिले में कोरोना का प्रकोप थमने के बाद अब तेजी से चिकनपॉक्स का संक्रमण फैल रहा है। इससे सबसे ज्यादा 1 से 16 साल तक के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इसके प्रकोप का दायरा यूं तो शहर भर में हैं, पर सबसे ज्यादा मरीज बहतराई, खमतराई, कोनी, मंगला में देखने को मिल रहे हैं। जिला अस्पताल व सिम्स में हर रोज औसतन इसके 15 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक यह संक्रमण वेरिसला जोस्टर वायरस की वजह से फैलता है। गर्मी का सीजन इस वायरस को फैलाने में अनुकूल माना गया है, यही वजह है कि गर्मी शुरू होते ही इसका प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा ऐसे बच्चे आ रहे हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।
ऐसे फैलता है इसका संक्रमण Chickenpox: डॉक्टरों के मुताबिक यह बेहद संक्रामक वायरल संक्रमण है, जिससे त्वचा पर खुजली, छाले जैसा हो जाता है। चिकन पॉक्स सबसे अधिक उनके लिए संक्रामक है, जिन्हें यह बीमारी नहीं हुई या इसका टीका नहीं लगाया गया।
– यह खांसते या छींकते समय हवा के साथ निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों से
– मुंह के लार से
– त्वचा का त्वचा से संपर्क होने पर ‘हाथ मिलाना या गले लगाने से’ फैलता है।
– किसी गंदी सतह को छूने से फैलता है।
स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर Chickenpox prevention tips: इसके बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस लिया है। यही वजह है कि जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। इसमें 9 माह, 18 माह, 5 वर्ष, 10 वर्ष व 16 वर्ष तक के बच्चों को टीका लगाया जा रहा है।
@टॉपिक एक्सपर्ट – मौसम चक्र में असामयिक बदलाव की तरह ही अब विभिन्न प्रकार के संक्रमण का भी पैटर्न बदल रहा है। कभी भी कोई वायरय एक्टिव होकर संक्रमण को बढ़ाने लगता है। यही वजह है कि चिकन पॉक्स का संक्रमण कभी भी फैल जा रहा है। यह संक्रमण विशेष रूप से 16 साल तक के बच्चों में फैलता है। इसके बचाव के लिए दो टीके लगते हैं। पहला टीका 15 महीने के बच्चों को, दूसरा टीका 4 साल में। जिन्हें बचपन में से टीके नहीं लगे, वे इसके संक्रमण में ज्यादा आ रहे हैं। अमूमन यही संक्रमण बच्चों में ज्यादा फैलता है, पर यदि 16 साल से ऊपर के किसी व्यक्ति में यह फैलता है तो ज्यादा घातक होता है। इसी तरह नवजात व प्रेग्नेंट मां अगर इसकी चपेट में आते हैं तो इस अवस्था में यह संक्रमण ज्यादा घातक होता है। इससे बचने बचपन में ही टीके लगवाएं, जो इसकी चपेट में आ गए हैं ठीक होने तक होम आइसोलेशन में रहें। – डॉ. अशोक अग्रवाल, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ