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इसे बड़ा काम, छोटा काम, बड़ी नौकरी, छोटी नौकरी जैसे मानकों में तोला जाता है, यह भी प्रमुख कारण है। दरअसल राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय यानि एनएसओ, साख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय (एमएसओपीआई) द्वारा वर्ष 2017-18 से करवाए जा रहे श्रम बल सर्वेक्षण यानि पीएलएफएस से रोजगार और बेरोजगारी पर आंकड़े संग्रह किए जाते हैं। (Bilaspur News) नए वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार यह बातें सामने आई हैं। हालांकि इस रिपोर्ट में तीन वर्ष के आंकड़ों का हवाला देकर बेरोजगारी दर कम होने की बात कही गई है, (Bilaspur News Hindi) लेकिन इसमें भी वहीं ट्रेंड दिख रहा है कि जैसे-जैसे पढ़ाई का स्तर बढ़ रहा है, बेरोजगारी बढ़ रही है।तीन युवकों ने बुजुर्ग को मरते दम तक पीटा, इस बात पर कर दी हत्या
यहां भी ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर, अंबिकापुर, रायगढ़ आदि जिलों के जब आंकड़े खंगाले गए तो यहां भी सबसे ज्यादा बेरोजगार स्नातक वाले ही थे। बिलासपुर में 35840, रायगढ़ में 21532, कोरबा में 4928 और जांजगीर में 17527 स्नातक बेरोजगार थे।शिक्षा का स्तर | 2019-20 | 20-21 | 21-22 |
निरक्षर | 0.6 | 0.4 | 0.4 |
प्राइमरी | 1.4 | 1.4 | 1.0 |
मिडिल | 3.4 | 2.5 | 2.6 |
सेकेंडरी | 4.1 | 3.8 | 3.4 |
हायर सेकेंडरी | 7.9 | 6.6 | 6.3 |
डिप्लोमा, सर्टिफिकेट | 14.2 | 14.2 | 13.0 |
ग्रेजुएट | 17.2 | 15.5 | 14.9 |
पीजी या अधिक | 12.9 | 12.5 | 11.4 |
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छत्तीसगढ़ की स्थिति प्रदेश में भी यही ट्रेेंड है। बिलासपुर और सरगुजा संभाग के रोजगार दफ्तरों से जब पंजीयन के आंकड़े निकाले गए तो हैरान करने वाले रहे। पहली बात यह थी कि निरक्षर पंजीयन शून्य तो नहीं पर इसकी ही जैसी स्थिति थी। (CG News Update) अधिकांश जिलों में इनका पंजीयन नहीं है और जहां है वहां एक या दो से ज्यादा नहीं हैं। जैसे बिलासपुर में दो और अंबिकापुर में एक निरक्षर पंजीकृत है।