CG News: उल्लेखनीय है कि 2018 से शुरू हुई एसआई भर्ती 6 साल से अटकी हुई है। 4 माह पहले सिंगल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया को 45 दिनों में पूरा करने और 90 दिनों में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि प्लाटून कमांडर के पदों पर चयनित महिला उम्मीदवारों को हटाकर पुरुष
उम्मीदवारों को फिजिकल टेस्ट के बाद मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी जाए। असफल परीक्षार्थियों ने इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की थी। इसमें दावा किया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं थीं और पुरुष उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा से वंचित कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा- कानूनी स्थिति और तथ्यों के मद्देनजर संपूर्ण चयन प्रक्रिया को रद्द करने का कोई आधार नहीं है।
CG News: 90 दिन में नियुक्ति देने का था आदेश
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एसआई भर्ती परीक्षा 2018 में चयनित अभ्यर्थियों को 90 दिनों में नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश दिया था।नियुक्ति आदेश जारी नहीं होने से नाराज
अभ्यर्थी इन दिनों रायपुर में आंदोलन भी कर रहे हैं। डिवीजन बेंच के इस फैसले से परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है।
असफल अभ्यर्थियों ने इस आधार पर दी थी चुनौती
भर्ती परीक्षा में असफल उम्मीदवारों ने डिवीजन बेंच में की अपील में कहा कि जब भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था तो 975 पद रिक्त बताए गए थे। इसमें से 247 पद प्लाटून कमांडर के लिए आरक्षित था। इस आधार पर 1235 पुरुष उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल करना था। नियमानुसार प्लाटून कमांडर पद के लिए अलग मेरिट सूची जारी करना था।
महिला उम्मीदवार पात्र नहीं थे। इसके बाद भी उन्हें इस पद में शामिल किया गया, जिसकी वजह से पात्र पुरुष उम्मीदवार मुख्य परीक्षा से वंचित हो गए। ऐसे में भर्ती निरस्त कर मुख्य परीक्षा से वंचित आवेदकों को भी मौका दिया जाना चाहिए।
सिंगल बेंच के फैसले में अवैधानिकता नहीं
तजवीर सिंह सोढी बनाम स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर 2023 केस हवाला देते हुए डीबी ने कहा कि, असफल परीक्षार्थी भर्ती निरस्त करने की अपील नहीं कर सकता। साथ ही सिंगल बेंच के निर्णय में कोई अनियमितता या अवैधानिकता नहीं है। मामले की कानूनी स्थिति और तथ्यों के मद्देनजर संपूर्ण चयन प्रक्रिया को रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता है, इसलिए यह आदेश सही है।