शुक्रवार को सीएम आवास में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री अरुण साव की उपस्थिति में बीपीसीएल के साथ प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर
बिलासपुर नगर निगम के कमिश्नर अमित कुमार भी उपस्थित रहे।
निगम आयुक्त ने बताया कि यह परियोजना जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगी और पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाएगी। संयंत्र के संचालन से प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन बायो गैस का उत्पादन होगा, जिससे शहर में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। इससे प्लांट में काम करने के लिए बेरोजगारों को मौका भी मिलेगा।
क्या है कप्रेस्ड बायो गैस
कप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) एक प्रकार की बायो गैस है, जो एनारोबिक सड़न की प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न अपशिष्टों जैसे कृषि अवशेष, मवेशी गोबर, गन्ने के निचोड़ से प्राप्त अवशेष, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, और सीवेज उपचार संयंत्र अपशिष्ट से बनाई जाती है। इस प्रक्रिया के बाद बायो गैस को शुद्ध किया जाता है, जिससे इसे कप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) कहा जाता है।
सीबीजी में मीथेन की उच्च मात्रा होती है, जो इसे ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रभावी बनाती है। यह गैस, कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) के समान होती है और इसे वैकल्पिक ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, विशेष रूप से मोटर वाहनों में। सीबीजी की खपत को देखते हुए, आने वाले समय में यह सीएनजी के स्थान पर ऑटोमोबाइल, औद्योगिक, और वाणिज्यिक उपयोगों में एक प्रमुख ईंधन स्रोत बन सकती है।
बीपीसीएल-गेल ₹600 करोड़ का करेंगे निवेश
बीपीसीएल और गेल द्वारा 600 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा, जिसके तहत बिलासपुर, कोरबा, अबिकापुर, राजनांदगांव, धमतरी और रायगढ़ में कप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इन संयंत्रों का उद्देश्य नगरीय ठोस अपशिष्ट से बायोगैस का उत्पादन करना है। यह त्रिपक्षीय समझौता गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और छत्तीसगढ़ बायो यूल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) के बीच हुआ है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, सेक्रेटरी टू सीएम पी. दयानंद, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव एस. बसवराजू सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
रोजाना 70 मीट्रिक टन बायोगैस का उत्पादन
कछार क्षेत्र में 10 एकड़ भूमि पर कंप्रेस्ड बायोगैस संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इस भूमि पर पहले से नगर निगम द्वारा आरडीएफ प्लांट स्थापित किया गया है। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड , गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और
छत्तीसगढ़ बायोयूल डेवलपमेंट ऑथोरिटी (सीबीडीए) के अधिकारियों ने इस परियोजना के लिए प्राथमिक सर्वे किया। इस संयंत्र से प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन बायोगैस का उत्पादन होगा, जिसके लिए 350 मीट्रिक टन नगरीय ठोस अपशिष्ट और 500 मीट्रिक टन अधिशेष बायोमास का उपयोग किया जाएगा।