यह भी पढ़ें: दोस्त को प्रेमिका संग संबंध बनाते देखा तो खुद भी टूट पड़ा, जब नहीं मानी तो कर दी गला घोंटकर हत्या
हाईकोर्ट के निर्देश पर पिछले दिनों इस मामले में एक चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। इस टीम ने 12 जुलाई को मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बताया गया कि चूंकि पीड़िता का गर्भ 20 सप्ताह से अधिक का नहीं है, अत: गर्भपात (एमटीपी) कराया जा सकता है। कोर्ट ने डॉक्टरों की निगरानी में गर्भ समाप्त करने के निर्देश दिए और भ्रूण का डीएनए भी संरक्षित रखने को कहा। पीड़िता के स्वास्थ्य की देखभाल व इलाज़ के निर्देश भी कोर्ट ने दिए।यह भी पढ़ें: छोटी बहन का आरोप, जीजा और उसके रिश्तेदार ने किया बलात्कार, बड़ी बहन ने की मदद
यह है मामला
कोरबा की 15 वर्षीय नाबालिग बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई थी। पीड़िता ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट के प्रावधानों के तहत गर्भपात की अनुमति मांगी थी। जस्टिस गौतम भादुड़ी ने अपने फैसले में कहा है कि पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया है और उसे बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसे जीवन मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। साथ ही पैदा होने वाले बच्चे को भी सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ सकता है। अत: याचिकाकर्ता को गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति का अधिकार है।