उन्होंने बताया कि शादी के 10 वर्ष बाद हमें 28 अगस्त को गनियारी के अस्पताल में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। 30 अगस्त को ग्राम पटैता कोरीपारा के आंगनबाड़ी केंद्र में एएनएम ने 12.30 बजे बच्चे को टीका लगाया। इसके बाद करीब 2 बजे से बेटे की तबीयत खराब होने लगी। हाथ, पैर, मुंह नीला पड़ने लगा। हम घबरा गए।
इस बीच शाम 6.30 बजे मेरी आंखों के सामने मेरे जिगर के टुकड़े ने दम तोड़ दिया। रुंधे गले से राकेश ने कहा कि मेरे बेटे की
मौत टीका लगाने से हुई है। लापरवाह अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई होनी चाहिए। जांच कमेटी में विधायक अटल श्रीवास्तव, पूर्व विधायक शैलेष पांडेय, मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया, जिलाअध्यक्ष विजय केशरवानी ने दोनों बच्चों के परिजनों से मुलाकात कर घटना से जुड़े तथ्य एकत्रित कर बीएमओ कोटा से भी चर्चा की।
डॉक्टर बोले- दूध पीने से हुई मौत
दो माह का बेटे को खो चुके रविंद्र मानिकपुरी ने जांच टीम को लिखित शिकायत करते हुए कहा कि मेरे बेटे का वजन सात किलो था। वह एकदम स्वस्थ था। टीका लगने के बाद उसकी तबीयत खराब हुई। उपचार के लिए शनिवार को सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्र कोटा लेकर गए जहां उसकी (Bilaspur News) मौत हो गई। इस दौरान वहां डॉक्टर ने कह दिया कि मां के दूध पीने की वजह से बच्चे की मौत हुई है। बिना पोस्टमार्टम कराए ही डांट-फटकार कर भगा दिया गया। ऐसे लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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