उल्लेखनीय है कि गरियाबंद जिले के लगभग सभी गांवों के पानी में लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण बच्चे डेंटल लोरोसिस का शिकार हो रहे हैं।
हाईकोर्ट के नोटिस के बाद विभागीय सचिव ने अपने जवाब में कहा था कि क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों और कैप के माध्यम से लगातार इलाज जारी है। पानी में 8 गुना नहीं बल्कि अधिकतम 3 गुना लोराइड की बात सामने आई है।
कोर्ट ने लोरोसिस से उक्त क्षेत्र के लोगों के बीमार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि साफ और सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना राज्य शासन की जिमेदारी है। कोर्ट ने पीएचई सचिव को शपथपत्र देकर यह बताने को कहा है कि इसके लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान यह जानकारी भी (Bilaspur High Court) सामने आई कि जिले के 40 गांवों में 6 करोड़ की लागत से प्लांट तो लगाए गए लेकिन वह कुछ महीने में ही बंद हो गए। इस पर विभाग की ओर से बताया गया कि 40 लोराइड रिमूवल प्लांट में से 24 सही तरीके से काम कर रहे हैं। बाकी को सुधारा जा रहा है।
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