स्विट्जरलैंड की एक कंपनी से
रायपुर के महिंद्रा स्पंज एंड पॉवर लिमिटेड कंपनी ने मार्च में 2020 को एक ई-मेल के माध्यम से 50,000 मीट्रिक टन कोयले की बिक्री के लिए एक अनुबंध किया गया था। इसमें मानक कोयला व्यापार समझौते के नियम और शर्तें शामिल थीं।
इसके अलावा, प्रतिवादी निर्णय-देनदार को डिलीवरी अवधि शुरू होने से 10 दिन पहले यानी 31 मार्च 2020 से पहले ऋण पत्र (एलसी) खोलने के लिए बाध्य किया गया था। प्रतिवादी उक्त तिथि तक एलसी खोलने में विफल रहा। इस तरह की विफलता अवार्ड-धारक आवेदक को अनुबंध समाप्त करने का अधिकार देने वाली चूक की घटना की तरह थी। इसके बाद आवेदक के पक्ष में एक मध्यस्थ अवार्ड और लागत अवार्ड पारित किया गया।
प्रतिवादी डिक्री-धारक ने अंग्रेजी मध्यस्थता अवार्ड, 1996 के तहत अपील के माध्यम से उपरोक्त अवार्डों को चुनौती दी। इसमें कहा कि योग्यता अवार्ड और लागत अवार्ड यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित होते हैं। ये वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 25 अक्टूबर 1976 की अधिसूचना द्वारा शासित होते हैं। चूंकि प्रतिवादी-देनदार की संपत्ति
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है, इसलिए उक्त विदेशी अवार्ड को मान्यता देने के लिए स्विट्रलैंड की कंपनी ने हाईकोर्ट में प्रकरण दायर किए।
Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 1996 अधिनियम की धारा 48 अवार्ड प्रवर्तन चरण में विदेशी अवार्ड पर “दूसरी नजर” डालने का अवसर नहीं देती है। धारा 48 के तहत जांच का दायरा योग्यता के आधार पर विदेशी अवार्ड की समीक्षा की अनुमति नहीं देता है। मध्यस्थों ने उक्त मुद्दे पर सावधानीपूर्वक विस्तार से विचार किया और पाया है कि बैंक और शिपिंग अपवादित उद्योग हैं और वे लॉकडाउन नियमों के अधीन नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा कि तय अवधि के दौरान, संबंधित व्यक्ति सक्षम प्राधिकारियों की अनुमति प्राप्त करने के बाद बैंक से संपर्क कर सकता था। बैंकिंग क्षेत्र ने ऐसी असाधारण परिस्थितियों में प्रत्येक नागरिक की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करना जारी रखा है, ताकि किसी भी वित्तीय कठिनाई से बचा जा सके। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि इस आधार पर अवार्ड भारत की सार्वजनिक नीति के विपरीत या उसके विरुद्ध नहीं होंने पर लागू किया जा सकता है।