शनिवार को अमित जोगी का नामांकन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि राज्य सरकार द्वारा गठित हाई पावर कमेटी ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कंवर जाति का नहीं माना था और उनके जाति प्रमाण पत्र को निलम्बित कर दिया था। हालांकि अभी यह मामला कोर्ट में लंबित है। इसी आधार पर इन दोनों पति-पत्नी द्वारा उपचुनाव के लिए भरा गया नामांकन भी निरस्त कर दिया गया।
कांग्रेस में रह कर चुनाव लड़ते तो जोगी परिवार अदिवासी ही होता, अलग पार्टी बनाएं तो समस्या आई- रेणु
इस फैसले से बौखलाए अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वे चुनाव रद्द करवाने तक लड़ाई लड़ेंगे। महत्वपूर्ण बात है कि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मरवाही में प्रेस से बात करते हुए कहा था, स्क्रूटनी के बाद पता चलेगा कितने कोणीय मुकाबला होगा। बता दें कि मरवाही उप चुनाव में अमित जोगी के नामांकन में आपत्ति कांग्रेस के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की ओर से उर्मिला मार्को और निर्दलीय प्रताप सिंह भानू ने भी की थी। तीनों के पास राज्य स्तरीय जांच कमेटी के उस आदेश की कॉपी थी, जिसमें अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया था।
अमित के खिलाफ एफआईआर के भी निर्देश
जाति के लिए गठित हाई पावर कमेटी ने अमित को गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनवाने का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश भी दिए हैं।
भूपेश के चक्रव्यू में फंसे अमित
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का नामांकन पत्र निरस्त होने के बाद अब जोगी परिवार से मरवाही के मैदान में कोई नहीं है। लोग यह कयास लगा रहे हैं क्या जोगी परिवार यहां तीसरा विकल्प भी तैयार कर सकता है, यह शनिवार को दिनभर चर्चा का विषय बना रहा। वहीं नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन यानी 16 अक्टूबर को अमित ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि मैं अजित का अमित हूं महाभारत के अर्जुन का अभिमन्यु नहीं जो इनके बनाए हुए चक्रव्यूह में फंस जाउं मैं मरवाही का चक्रव्यूह को तोड़कर चुनाव जीतकर दिखाउंगा।
अमित जोगी का यह डायलॉग 16 अक्टूबर को खूब चर्चा का विषय बना रहा 17 अक्टूबर को पति पत्नी के नामांकन निरस्त होने के बाद उसी परिसर में इस बात की चर्चा जोरों पर रही कि अजित का अमित भूपेश के बनाए चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस गए और जोगी परिवार मरवाही के चुनावी मैदान से बाहर हो गए। अब जोगी परिवार से इस सीट से चुनाव लडऩे वाला कोई नहीं है। तीसरे विकल्प को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
16 अक्टूबर की तारीख का आदेश, 17 को आया बाहर
जाति प्रमाण पत्र के निलंबन संबंधी आदेश में तारीख 16 अक्टूबर लिखी है। माना जा रहा है कि यह स्क्रूटनी के एक दिन पहले ही रद्द कर दिया गया था। बेटे की जाति पिता से होती है । जांच कमेटी की ओर से कहा गया है कि 20 से 23 सितंबर को डाक के जरिए अमित जोगी को नोटिस भेजा गया था।
कमेटी की दलील है कि राज्य उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने अजीत जोगी को कंवर आदिवासी नहीं माना था। ऐसे में बेटे की जाति पिता की जाति से निर्धारित होती है। नतीजतन अमित जोगी को कंवर नहीं माना जा सकता है। जोगी जाति मामला कोर्ट में लंबित था, उसी समय अजीत जोगी का निधन हो गया।