200 से पार है निगरानी व गुंडा बदमाशों की संख्या : जिले के 20 थानों में गुंडे और निगरानी बदमाशों की संख्या 200 से पार है। मारपीट के 5 मामलों में चालान होने वाले अपराधियों को गुण्डा और संपत्ति संबंधि अपराध के 3 मामलों में चालन होने वाले अपराधियों को पुलिस निगरानी बदमाशों की सूची में रखा है। गुंडे और निगरानी बदमाशों की निगरानी करने में भी पुलिस के पसीने छूट रहे हैं।
राजनीतिक दबाव में अटके प्रस्ताव : पुलिस ने जिन निगरानी बदमाशों के जिला बदर प्रस्ताव भेजे हैं, वे राजनीति दलों की सदस्यता लेकर कार्रवाई रुकवाने के भरसक प्रयास में हैं। राजनीतिक दबाव में पुलिस प्रस्तावों में बयान नहीं करा पा रही है।
चुनाव के पहले होनी है जिला बदर की कार्रवाई : चुनाव के पहले पुलिस निगरानी बदमाशों के जिलाबदर के प्रस्ताव भेजती है। वर्ष 2012 में पुलिस ने जिला बदर के 8 प्रस्ताव भेजे थे, जिनमें से 5 अपराधियों के खिलाफ जिलाबदर के आदेश जारी हुए थे। विधानसभा चुनाव 2018 के पहले पुलिस ने फिर से जिला बदर के प्रस्ताव बनाया है।
रिकार्ड अपडेट नहीं, हवाला देने में चूक रही पुलिस: पुलिस के रिकार्ड अपडेट नहीं है। जिले में कई निगरानी बदमाश ऐसे भी हैं, जिन्हें कोर्ट से सजा मिल चुकी है। लेकिन अपराधियों के सजा संबंधी दस्तावेज पुलिस के पास नहीं है। जिलाबदर की कार्रवाई के लिए कोर्ट से किसी मामले में निगरानी बदमाश के खिलाफ सजा का आदेश होना जरूरी है। पुलिस अपने रिकार्ड दुरुस्त करने में लगी है।