स्थिति ये है कि लोगों को यह पता तक नहीं होता कि ये डिस्पेंसरीज कहां हैं। लिहाजा चाह कर भी मरीज इस इलाज सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। बदलते परिवेश में लोगों को रुझान एलोपैथी की अपेक्षा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की ओर तेजी से बढ़ रहा है। वो इसलिए कि इस पद्धति में इलाज से साइडइफेक्ट का खतरा कम होता है। दूसरी ओर होमियोपैथी की ओर भी रुझान है, पर शासन स्तर पर इसकी डिस्पेंसरीज ऐसी जगह खोल दी जा रही है, जहां सीमित लोग ही पहुंच पाते हैं। इधर यूनानी चिकित्सा पद्धति पर गौर करें तो इसकी डिस्पेंसरीज भी जिला स्तर पर खोली गई हैं, लेकिन वो भी नाम की ही हैं। महज 5 से 10 प्रतिशत लोग ही, जिन्हें इन डिस्पेंसरीज की जानेकारी होती है, वे इलाज की सुविधा ले पा रहे हैं।
-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भी सिर्फ आयुर्वेंद चिकित्सा पद्धति से इलाज लोगों के अनुसार आयुर्वेद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में कम से कम इससे जुड़ी सारी चिकित्सा पद्धतियों से इलाज सुविधा मिलनी चाहिए, पर यहां भी अनदेखी हो रही है।
होमियोपैथी की निजी डिस्पेंसरीज ही लोगों को मालूम राज्य में 58 सरकारी होमियोपैथी डिस्पेंसरी संचालित हैं। बिलासपुर जिले में सिंधी कॉलोनी, मोपका, शहर से लगे ग्राम खजूरी व मस्तूरी में इसकी डिस्पेंसरी चल रही हैं। लेकिन जिस क्षेत्र में भी ये डिस्पेंसरीज संचाजित हैं, वहीं के ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। होमियोपैथी में इलाज कराना है तो निजी डिस्पेंसरी की ओर लोगों को रुख करना पड़ रहा।
राज्य में 1148 आयुष सेंटर – डिट्रिक्ट हॉस्पिटल -6 – आयुष विंग-15 – स्पेशलाइज थेरेपी सेंटर-23 – स्पेशियलिटी क्लीनिक-23 – होमियोपैथी डिस्पेंसरी-58 – यूनानी स्पिेंसरी-6 – पीएचई एई आयुष-385
– पॉली क्लीनिक-13 मरीजों को एक ही जगह सारी पैथी से इलाज सुविधा मिले इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिला अस्पतालों में भी कोशिश की जा रही है कि वहां सभी पैथी से इलाज हो, ताकि मरीज जिस पैथी से इलाज कराना चाहे, करा ले। इसके अलावा पॉलीक्लीनिक भी खोले जा रहे हैं, जहां सभी पैथी से इलाज हो सकेगा।
– किरण तिग्गा, डिप्टी डायरेक्टर आयुष