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बीकानेर

85000 से अधिक शिक्षकों को झटका, राजस्थान में आखिर क्यों नहीं हो रहे शिक्षकों के तबादले?

Rajasthan Teacher Transfer : राजस्थान में 10 जनवरी तक तबादले होंगे लेकिन शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों को इंतजार करना होगा। राज्य के 85 हजार से अधिक शिक्षक अगस्त 2021 से अपने घर जाने का इंतजार कर रहे हैं।

बीकानेरJan 02, 2025 / 04:56 pm

Kamlesh Sharma

Teacher News

प्रतीकात्मक तस्वीर

बीकानेर/खैरथल। राजस्थान में 10 जनवरी तक तबादले होंगे लेकिन शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों को इंतजार करना होगा। राज्य के 85 हजार से अधिक शिक्षक अगस्त 2021 से अपने घर जाने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं शिक्षकों को स्थानांतरण में छूट नहीं देने पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने आक्रोश जताया है।
राजस्थान सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग (अनुभाग-1) से जारी आदेश के अनुसार राजकीय अधिकारियों कर्मचारियों के स्थानांतरण पर लगाया गया पूर्ण प्रतिबंध स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, कॉलेज शिक्षा विभाग व तकनीकी शिक्षा विभाग को छोड़कर शेष विभागों के लिए एक जनवरी से 10 जनवरी तक की अवधि के लिए प्रतिबंध हटाया गया है। यह आदेश राज्य के समस्त निगमों, मण्डलों, बोर्ड, स्वायत्तशाषी संस्थाओं पर लागू होगा।
लेकिन इस बार स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले नहीं होंगे जिससे राज्य में लंबे समय से परिवार के पास जाने की आस लगाएं बैठे शिक्षकों के अरमानों पर पानी फिर गया है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भी प्रदेश के 85 हजार से अधिक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले को लेकर स्थितियां साफ नहीं हो पाई है। गत सरकार ने पूरे पांच साल नीतियां बनाने में गंवा दिए और मौजूदा सरकार भी रोज अलग-अलग दावे कर शिक्षकों को भंवरजाल में ही उलझाए हुए हैं।

स्थानांतरण में उपेक्षा और भेदभाव से शिक्षकों में आक्रोश

शिक्षकों को स्थानांतरण में छूट नहीं देने पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने आक्रोश जताया है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र लखारा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति को शिक्षकों के प्रति उपेक्षापूर्ण बताया है। संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष ओमप्रकाश बिश्नोई एवं प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि आचार्य ने कहा कि सरकार ने वर्तमान में शिक्षा विभाग को छोड़कर स्थानांतरण करने का निर्णय लिया है, जो प्रदेश के सैकड़ों शिक्षकों के प्रति भेदभाव पूर्ण और सरकार का शिक्षा को लेकर उपेक्षित भाव दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्व में भी सभी विभागों में प्रतिबंध हटाकर स्थानांतरण किए थे। तब भी और अब भी शिक्षा विभाग की उपेक्षा की गई है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश पुष्करणा ने कहा कि सबसे बड़ा विभाग होते हुए भी लगातार शिक्षकों की अनदेखी की जा रही है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से शिक्षा विभाग में सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त हो गया है। जिला अध्यक्ष मोहनलाल भादू ने बताया कि 2 जनवरी को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर स्थानांतरण की मांग को लेकर जिला कलक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।
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तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने अगस्त 2021 में किया था ऑनलाइन आवेदन

गत सरकार ने अगस्त 2021 में शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से तृतीय श्रेणी शिक्षको से तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इस पर राज्य के करीब 85 हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने गृह जिले में जाने के लिए आवेदन किया था। इसके साथ ही टीएसपी क्षेत्र से नॉन टीएसपी क्षेत्र के टीचर्स से भी विकल्प पत्र भरवाए थे। लंबा समय गुजरने के बाद भी तबादलों का तिलस्म खत्म नहीं हो पाया है। गत सरकार के कार्यकाल में विभाग ने तबादला नीति तैयार कर मुख्य सचिव को भेजने तथा जांच के बाद मुख्यमंत्री के पास भेजे जाने का दावा किया था। पर परिणाम कुछ नहीं निकला। प्रदेश में करीब सवा दो लाख तृतीय श्रेणी शिक्षक एवं समकक्ष शिक्षक हैं।

तृतीय श्रेणी शिक्षकों के साथ हुआ दोगला व्यवहार

राज्य में सिर्फ तृतीय श्रेणी शिक्षकों के साथ दोगला व्यवहार किया गया। ऑनलाइन आवेदन लेने के बाद भी इनके तबादले नहीं किए गए। इनके तबादले अंतिम बार 2018 में हुए थे। दूसरी ओर राज्य सरकार ने प्राचार्य, व्याख्याता व वरिष्ठ अध्यापक सहित अन्य श्रेणी के शिक्षकों के बंपर तबादले किए गए।

राज्य में तबादलों के लिए केवल कमेटियां ही बनाते रहे

रेसटा के प्रदेशाध्यक्ष मोहर सिंह सलावद का कहना है कि तबादलों के नाम पर राज्य सरकारें केवल कमेटियां ही बनाती रही हैं। 1994 में पूर्व शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। इस कमेटी ने प्रारूप बना दिया पर रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी। 1997-98 में नीति लाने के लिए कवायद शुरू हुई,पर कुछ नहीं हुआ। तबादलों को लेकर अलग से निर्देश जारी किए। 2005 शिक्षकों को तबादलों में राहत देने के लिए दिशा-निर्देश जारी हुए। 2015-16 में तबादलों के लिए मंत्री-मंडलीय समिति के साथ अन्य कमेटी भी बनाई। पर,प्रारूप लागू नहीं हो सका। 2019-20 में जनवरी 2020 में कमेटी बनी कमेटी ने अगस्त में रिपोर्ट दी। पर सरकार से मुहर नहीं लग पाई।

राज्य सरकार को शिक्षकों के भी करने चाहिए तबादले

शिक्षक संघ रेसटा के प्रदेश प्रवक्ता राजीव चौधरी का कहना हैं कि संघ लंबे समय से राज्य में कार्यरत लाखों तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले की मांग कर रहा है। लेकिन सरकार तबादला नीति बनाने का हवाला देकर तबादले नहीं कर रही है। संगठन की मांग है सभी संवर्गों के शिक्षकों के प्रति दो वर्ष के अंतराल से एक पारदर्शी नीति बनाकर तबादले किए जाएं।

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