बीकानेर में पत्रिका का प्रकाशन, मीडिया जगत में कालजयी कदम
बीकानेर में पत्रिका का प्रकाशन, मीडिया जगत में कालजयी कदम
बीकानेर में पत्रिका का प्रकाशन, मीडिया जगत में कालजयी कदम
-शिव कुमार सोनी, वरिष्ठ सांस्कृतिक पत्रकार, बीकानेर बीकानेर. मरुनगर बीकानेर में 7 अगस्त 1987 को मीडिया जगत में क्रांतिकारी व कालजयी कदम स्थापित हुआ। राजस्थान ही नहीं देश में अपनी निष्पक्ष, बेबाक बुलंद आवाज की धनी के रूप में लोकप्रिय राजस्थान पत्रिका का प्रकाशन बीकानेर में शुरू हुआ। पत्रिका ने तीन दशक के सफर में पाठकों को अपना तथा पाठकों की अपनी पत्रिका का सम्मान प्राप्त किया। श्रद्धेय कर्पूरचंदजी कुलिश के वृहद आशीर्वाद तथा दूरगामी सोच से पत्रिका पाठकों के दिल-दिमाग पर छाई हुई है।
सभी जाति, धर्म-समुदाय के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के पाठकों में जहां अखबार पढऩे की रुचि जागृृत हुई है। वर्तमान में आलम यह है कि पत्रिका को पढ़े बिना कई लोगों की दिनचर्या भी शुरू नहीं होती। सूर्य की पहली किरण से पहले ही पाठक पत्रिका का इंतजार करना शुरू कर देते है। पत्रिका को पढऩे के बाद ही वे चैन सांस लेते हैं। किसी कारणवश पत्रिका को नहीं पढऩे वाले पाठकों में दिनभर मलाल रहता है कि आज पत्रिका नहीं पढ़ी।
बीकानेर में पत्रिका ने जहां जन समस्याओं, सामाजिक, राजनीतिक विदु्रपताओं, कमियों व बुराइयों को प्रखरता से उजागर किया। वहीं धार्मिक, साहित्यिक, राजनीतिक, कला, संस्कृति, परम्परा व विकास कार्यों को भी आलेख व खबरों के माध्यम से प्रकाशित किया। बीकानेर स्थापना दिवस, स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस हो या अन्य कोई पर्व, उत्सव या गतिविधि या लोकसभा, विधानसभा तथा निकाय चुनाव हो, पत्रिका ने सटीक तथ्यों के साथ समाचारों, आलेख व सीरिज प्रकाशन का फोटो के साथ किया है। मतदाताओं को अपने मत का अधिकार उपयोग करने, सही प्रत्याशी को चुनने लिए प्रोत्साहित किया। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों, पुरातत्व एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, वास्तु व शिल्पकला, खानपान की परम्परा, मिठाई-भुजिया व नमकीन, नगर की खूबियों, विशिष्टताओं से पाठकों को रूबरू करवाया। औद्योगिक व कृषि विकास के कार्यों व कृषि की नई तकनीकों की जानकारी दी।
हरियाळो राजस्थान अभियान के माध्यम से लोगों में पौधरोपण के प्रति जागृृति का प्रयास किया। वहीं पानी की एक-एक बूंद के संरक्षण के लिए अमृृतम जलम अभियान के माध्यम से नगर के तालाबों की सुरक्षा, जीर्णोंद्धार व उनके अस्तित्व को कायम रखने का अनूठा कार्य
किया।
वर्तमान में भी नगर के धरणीधर, नाथसागर और गोचरभूमि सरे नथानियां के नए तालाब व हर्षोलाव, संसोलाव और शिवबाड़ी आदि तालाब पत्रिका के अभियान की कहानी कहते नजर आते हैं।
अमृृतम जलम अभियान में धर्मगुरुओं, जनप्रतिनिधियों व आम लोगों तथा पर्यावरण प्रेमियों का उल्लेखनीय योगदान रहा। आओ गांव चले अभियान के माध्यम से पत्रिका के संवाददाताओं ने गांव-गांव ढाणी-ढाणी घूमकर गांव की विशिष्टओं से साक्षात्कार करवाया। कई जानकारियां ऐसी प्रकाशित की जिसे गांव वाले भी नहीं जानते थे। यही आलम नगर के चौकों, मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों और गुरुद्वारों का रहा। इन धर्म स्थलों की प्राचीनता, विशिष्टता को भूली बिसरी यादों के साथ प्रकाशित कर एक दस्तावेज के रूप में पाठकों के सम्मुख रखा।
पाटा बोलता है, बीकानेर के पुस्तकालय, स्कूल और आध्यात्मिक शिक्षा, कबीर यात्रा आदि अभियानों ने पत्रिका की लोकप्रियता को शिखर तक पहुंचाया। अभियानों व समय-समय पर प्रकाशित आलेखों को आज भी अनेक लोगों ने सहेज कर दस्तावेज के रूप में रखा हुआ है। कुछ अभियानों को पत्रिका प्रकाशन ने पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर धरोहर के रूप में सुधी पाठकों के लिए सहेज कर रखा है।
बदलते वक्त व परिस्थिति, मीडिया जगत में पीत पत्रकारिता व माफिया प्रवृृति के बीच राजस्थान पत्रिका अपने आदर्श मानवीय, आध्यात्मिक, सामाजिक व राजनीतिक मूल्यों, पत्रकारिता के श्रेष्ठ सिद्धान्तों, आदर्श आचार संहिता के साथ नियमित पाठकों के स्नेह व आत्मीयता ले रही है। प्रतिदिन नए पाठकों के साथ जुड़कर, उन्हें अपना बना रही हैं। पत्रिका को आगे बढ़ाने में पाठकों का विश्वास के अनुरूप खरा उतरने में संपादकों, संवादाताओं और फोटोग्राफरों की कर्तव्य निष्ठा, कार्य के प्रति ईमानदारी, समझदारी, समर्पण सम्मानीय है।
विज्ञापनदाताओं व सर्दी, गर्मी तथा वर्षा, कफ्र्यू, लॉकडाउन व कोरोना के समय में घर-घर जाकर अखबार देने वाले हॉकर वीरों का उल्लेखनीय योगदान पत्रिका का श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनाने प्रयास नमन योग्य व वंदनीय है।
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