तीनों मनीष की वर्कशॉप से किसी ट्यूबवैल पर सामान पहुंचाने निकले थे। सामान देने के बाद आपस में विचार कर आगे दो दिन की छुट्टी देखते हुए वर्कशॉप का कुछ सामान लेने बीकानेर जाने के लिए रवाना हो गए। रास्ते में रायसर के आगे 8.40 बजे दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए। घटना के बाद देराजसर व टेऊ, सूडसर दोनों गांवों में माहौल गमगीन हो गया है।
दोनों परिवारों के घरों में कोहराम मचा
घटना की सूचना मिलते ही दोनों परिवारों के घरों में कोहराम मच गया। हर एक ग्रामीण दीपावली त्यौहार के दिन हुए ऐसे दर्दनाक हादसे पर काल को कोस रहा है। नम आंखों से अनेक ग्रामीण परिवार जनों को सांत्वना देने पहुंचे। जानकारी के अनुसार दो भाईयों में छोटे मनीष ने वर्कशॉप का काम संभाल लिया था और दादी बुढ़ी आंखों से अपने पोते के विवाह के सपने बुन रही थी।
मासूम बेटे बार-बार अपने पिता को खोज रहे
माता-पिता व मनीष की बहनों की चीत्कार से हर एक ग्रामीण की आंखें नम हो गई है। वहीं उसके युवा मामा हरिराम के दो मासूम बेटे बार-बार अपने पिता को खोज रहे है। बच्चों को कोई जवाब देते नहीं बन रहा है। हरिराम की पत्नी व मां बेसुध हो गई। वहीं परिजन भतीजे ओमप्रकाश के ठीक होने की प्रार्थनाएं कर रहें है।