भाजपा सांसद बालकनाथ ने कहा- गांव में 1440 वोट हैं तो यहां 1450 पड़ेंगे, वीडियो हुआ वायरल
इस बार बड़ी चुनौती मोबाइल नंबर से संचालित पेमेंट ऐप बन बन रहे हैं। ऐसे ऐप हर वोटर या परिवार के सदस्य के मोबाइल में एक्टिव हैं। ऐसे में मतदान से पहले मतदाताओं तक मोबाइल ऐप से पैसा पहुंचाने की हरकत को रोकना पैचीदा होगा। जानकारों के अनुसार, प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के मोबाइल ऐप का उपयोग कर पैसे से चुनावी रुख बदल सकते हैं। अभी दो सप्ताह में 100 करोड़ से ज्यादा की नकदी और अन्य सामान जब्त किया जा चुका है। बीकानेर में यह आंकड़ा 1 करोड़ 80 लाख पर पहुंच चुका है।
कोरोनाकाल के बाद चलन: 2018 के विधानसभा चुनाव तक नकदी का ही चलन था। ऑनलाइन बैंङ्क्षकग भी व्यापारिक वर्ग या नौकरी-पेशा लोगों तक ही सीमित था। कोरोना के बाद मोबाइल पेमेंट तेजी से बढ़ा है। अब रेहड़ी और पान दुकानदार भी ऐप से पेमेंट ले रहे हैं। करीब 70 फीसदी एंड्रॉयड मोबाइल यूजर अब डिजिटल पेमेंट ऐप का यूज करते हैं। बैंक खाते से मोबाइल नंबर जुड़ा होने पर महज मोबाइल नंबर देकर ही किसी से भी पैसे प्राप्त कर सकते हैं।
निर्वाचन आयोग की बड़े ट्रांजेक्शन पर नजर: चुनाव आयोग ने राजस्थान में विधानसभा प्रत्याशी के लिए चुनावी खर्च की सीमा अधिकतम 40 लाख रुपए तय कर रखी है। चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशी को चुनावी खर्च का पूरा ब्योरा जिला स्तर पर गठित लेखा प्रकोष्ठ की कमेटी को देना होगा। दूसरी तरफ किसी भी यूपीआई आधारित पैमेंट ऐप से रोजाना पचास हजार रुपए का ट्रांजेक्शन हो सकता है। इससे बड़े ट्रांजेक्शन पर पेनकार्ड की जानकारी देना जरूरी है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव: 200 सीटों में 64 ऐसी जहां हर बार बदलता रहा जीत-हार का गणित
मुखबिर सक्रिय: दस एजेंसियों की टीम बनी है। इसमें बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। बल्क और संदिग्ध ट्रांजेक्शन पर नजर रखी जा रही है। यूपीआई और ऐप से अचानक होने वाले ट्रांजेक्शन की भी जांच करवा रहे हैं। अभी ऐसा कोई मामला पकड़ में नहीं आया है। मुखबिरों को भी सक्रिय कर रखा है। जिससे चुनाव प्रभावित करने वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन पर कार्रवाई की जा सकेगी।-भगवती प्रसाद कलाल, जिला निर्वाचन अधिकारी, बीकानेर