18 कारखाने, 45 टन से अधिक चीनी की खपत चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े पप्पू जोशी के अनुसार जिले में शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक करीब डेढ़ दर्जन छोटे व बड़े कारखाने हैं, जहां चीनी की चाशनी से इन खिलौनों को तैयार किया जाता है। दीपावली के अवसर पर अनुमानत: सभी कारखानों में कुल 45 टन से भी अधिक चीनी से इनको तैयार किया जाता है। सभी कारखानों में तीन सौ से अधिक कारीगर व मजदूर इस कार्य से जुड़े हुए हैं।
लकड़ी के सांचों से तैयार होते हैं खिलौने चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े रवीन्द्र जोशी के अनुसार दीपावली के लिए विशेष रूप से तैयार होने वाले प्रसाद का मेवा खिलौनों को चीनी चाशनी से बनाया जाता है। इनमें मखाणा, बड़क और चीनी के खिलौने शामिल हैं। चीनी के खिलौनों को लकड़ी के सांचो से बनाया जाता है। सांचों में चाशनी भरकर खिलौने बनाए जाते हैं। इनमें महळ-माळिया, शेर, गुडिया, स्तंभ, तलवार, विभिन्न प्रकार के पक्षी, हाथी, घोड़ा इत्यादि शामिल हैं। इलायची के दाने पर चीनी की चाशनी लगाकर विशेष रूप से मखाणा बनाए जाते हैं। वहीं बड़क को भी चीनी की चाशनी से तैयार किया जाता है।
बीकानेर से बाहर भी है मांग चीनी उत्पाद व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों के अनुसार चीनी से तैयार होने वाले मखाणा, बड़क और चीनी के खिलौनों की बीकानेर जिला ही नहीं, प्रदेश व देश के विभिन्न स्थानों पर मांग रहती है। बीकानेर में तैयार होने वाले ये उत्पाद कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, रायपुर, बैंगलोर, आसाम, पंजाब, हरियाणा, सूरत, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, पोकरण, फलौदी सहित अनेक स्थानों पर बिक्री के लिए जाते हैं।
लक्ष्मी पूजन में उपयोग ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार दशकों से लक्ष्मी पूजन के दौरान मखाणा, बड़क और चीनी से बने महळ-माळिया व खिलौनों को प्रसाद के रूप में अर्पित करने की परंपरा है। चीनी से बने ये उत्पाद लक्ष्मी पूजन के दौरान आवश्यक रूप से उपयोग होते हैं। वहीं पारंपरिक रूप से चणा, बीज, फुली, काचर, बेर, मतीरा का भी उपयोग लक्ष्मी पूजन के दौरान होता है।