scriptNational Mathematics Day 2024 : कैल्कुलेटर से भी तेज थी गणना, राजस्थान की मारजा  शिक्षा पद्धति के बारे में जानेंगे तो दंग रह जाएंगे | National Mathematics Day 2024 Calculation Faster than a Calculator You Stunned Know Marja Education System of Rajasthan | Patrika News
बीकानेर

National Mathematics Day 2024 : कैल्कुलेटर से भी तेज थी गणना, राजस्थान की मारजा  शिक्षा पद्धति के बारे में जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

National Mathematics Day 2024 : मारजा शिक्षा पद्धति में पढ़े लोग आज भी मुंहजुबानी पल भर में हिसाब-किताब कर सभी को आश्चर्य चकित कर देते हैं। राजस्थान की मारजा ​शिक्षा पद्धति के बारे में जानेंगे तो दंग रह जाएंगे।

बीकानेरDec 22, 2024 / 03:34 pm

Sanjay Kumar Srivastava

National Mathematics Day 2024 Calculation Faster than a Calculator You Stunned Know Marja Education System of Rajasthan

मारजा ​शिक्षा पद्धति के अनुसार 42 साल पहले अध्ययन करने वाले बच्चे, ​शिक्षकों के साथ। 

विमल छगांणी
National Mathematics Day 2024 : अगर यह कहा जाए कि गणित की ऐसी गणना जो पलक झपकने से पहले ही बिना किसी यांत्रिक मदद के हल हो जाए, दो शायद विश्वास करना मुश्किल होगा। लेकिन यह हकीकत है। मारजा शिक्षा पद्धति में पढ़े लोग आज भी मुंहजुबानी पल भर में हिसाब-किताब कर सभी को आश्चर्य चकित कर देते हैं। बचपन में स्लेट-बर्तना से सीखे पहाड़े, सवाई, डेढ़ा, ढाया, ऊंठा, ढुंचा, पूणा के पहाड़े और पारम्परिक गणितीय शैली उस दौर की श्रेष्ठ गणित शिक्षा प्रणाली का प्रमाण बनी हुई है। इस शिक्षा पद्धति से पढ़े हुए लोग आज भी मौजूद है, जो अपने मारजाओं से प्राप्त हुई गणित की शिक्षा से शिक्षित हुए है व गणित में अपनी पहचान रख रहे है।

पाटी, बर्तना…खर्च कुछ नहीं

मारजा पद्धति में शिक्षण सामग्री के नाम पर केवल पाटी (स्लेट) और मिट्टी से बना बर्तना ही था। विद्यार्थी 1 से 100 तक गिनती लिखने के साथ 2 से 40 तक पहाड़े लिखते थे। वहीं पारम्परिक सवाया, डेढ़ा, ढाया, ऊंठा, ढुंचा, पूणा के पहाड़ों सहित माळनी होती थी। बड़ा से बड़ा जोड़, गुणा, भाग, घटाना, वर्गमूल आदि की गणना पाटी अथवा पहाड़ों के माध्यम से ही होती थी।
यह भी पढ़ें

31 दिसम्बर तक सभी भू-आवंटन प्रकरणों का करें निस्तारण, सीएम भजनलाल ने कहा- कोताही बर्दाश्त नहीं

सौ सिलंगी मातादसे हजार…

आज किसी से कहा जाए कि 33 को 33 से गुणा करने और 100 को 100 से गुणा करने पर कितना आएगा, तो संभव है कैल्कुलेटर का उपयोग करना पड़े, लेकिन मारजा शिक्षा प्रणाली में पढ़े बच्चे (जो आज 50 अथवा इससे अधिक आयु के हो चुके हैं) बिना कैल्कुलेटर के ही इनका हल बता सकते हैं। मारजा पद्धति में 33 को 33 से गुणा करने के लिए ‘तेतिया खेतिया दसे नयासी’ अर्थात 1089 आए। इसी प्रकार 100 को 100 से गुणा करने के लिए ‘सौ सिलंगी माता दसे हजार’ अर्थात दस हजार होंगे।
यह भी पढ़ें

राजस्थान में शिक्षकों के आचरण की होगी ग्रेडिंग, मदन दिलावर का नया आदेश

सभी बच्चे एक साथ करते थे अध्ययन

मारजा पद्धति में सभी बच्चे एक साथ अध्ययन करते थे। पहाड़े बोलना अर्थात माळनी नियमित क्रम था। सभी बच्चों को एक साथ माळनी बोलनी अनिवार्य थी। नियमित रूप से माळनी जरूरी थी। माळनी सस्वर, पारम्परिक शब्दों और हाव -भाव के साथ पूर्ण होती थी। कठोर अनुशासन, नियमित उपस्थिति, मंगलवार को पूजन औश्र प्रसाद का वितरण मारजा स्कूल के नियमों में शामिल थे।
यह भी पढ़ें

Jaipur Tanker Blast : तेल कपंनियों ने कहा, किसी भी सूरत में नहीं फट सकता टैंकर, भारत पेट्रोलियम भी देगा सहायता राशि

इन्होंने किया हजारों बच्चों को तैयार

वरिष्ठ नागरिक ईश्वर महाराज छंगाणी बताते हैं कि मारजा के रूप में शिवनाथा मारजा, फागणिया मारजा, लावरिया मारजा, चम्पा मारजा, आदू मारजा, गिरधर मारजा, बैजिया मारजा, मूलिया मारजा, छीछी मारजा, फकीरा मारजा, छगन मारजा, बृजलाल मास्टर सहित कई मारजाओं ने हजारों शिष्यों को गणित में दक्ष किया।
यह भी पढ़ें

अशोक गहलोत का सीएम भजनलाल से बड़ा अनुरोध, जानकर चौंक जाएंगे

National Mathematics Day 2024
बृजलाल पुरोहित, पूर्व ​शिक्षक

इस फिर अपनाया जाना चाहिए : बृजलाल पुरोहित, पूर्व ​शिक्षक

बच्चों के जीवन में प्रारंभिक शिक्षा महत्वपूर्ण होती है। यह मातृ भाषा में तथा सरल, रोचक और मनोरंजन पूर्ण होनी चाहिए। मारजा शिक्षा पद्धति शत-प्रतिशत मातृ भाषा पर आधारित थी। पहाड़े और गणितीय हिसाब-किताब रोचक व मनोरंजक होते थे। यह बच्चों के मन मस्तिष्क में गहरे तक पैठ बनाते थे। आधुनिक शिक्षा पद्धति के साथ-साथ मारजा शिक्षा पद्धति में पढ़ाई जाने वाले गणित व उसकी शैली को अपनाया जाना चाहिए। यह अधिक कारगर और बच्चों के मन मस्तिष्क का विकास करने वाली है।
यह भी पढ़ें

Rajasthan News : इच्छा मृत्यु की धमकी पड़ी महंगी, पुलिस ने भेजा नोटिस, मांगे 9.91 लाख रुपए, किसान के उड़े होश

… अब एक भी ऐसा स्कूल नहीं

बीकानेर शहर में कभी परवान पर रही मारजाओं के स्कूल अब समाप्त हो चुके हैं। मारजा पद्धति से पढ़े लोग आज भी मौजूद हैं। इस पद्धति से पढ़ाने वाले अधिकतर मारजा भी अब इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं। इक्का-दुका ही बचे हैं, जो पारंपरिक पहाड़ों के स्वर, लय और पारंपरिक शैली को जानते हैं।

Hindi News / Bikaner / National Mathematics Day 2024 : कैल्कुलेटर से भी तेज थी गणना, राजस्थान की मारजा  शिक्षा पद्धति के बारे में जानेंगे तो दंग रह जाएंगे

ट्रेंडिंग वीडियो