रीको की इस स्वीकृति के बाद ही पर्यावरण स्वीकृति जारी हुई थी, लेकिन पांच साल बाद भी सीइपीटी नहीं बन पाया है व गंदा पानी विकराल रुप ले रहा है। सालों बाद भी सीइपीटी न बनना पर्यावरण स्वीकृति की अनुपालना नहीं हो रही है व नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। रीको लि.सरकारी एजेन्सी होने के कारण संबंधित विभाग और अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय ढिलाई बरत रहे है। उद्यमियों का आरोप है कि अगर रीको के स्थान पर कोई प्राइवेट डवलपर्स होता तो अब तक उसकी पर्यावरण स्वीकृति निरस्त हो चुकी होती।
बिना स्वीकृति आवंटन
करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार परियोजना को लेकर रीको पर पर्यावरण स्वीकृति और केन्द्र तथा राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों की अवहेलना के आरोप लगते रहे है। उद्यमी नारायण दास तुलसानी के अनुसार रीको ने उद्योग लगाने को लेकर भूखंडों का आंवटन बगैर पर्यावरण स्वीकृति के ही कर दिया। रीको बीकानेर ने अप्रेल से दिसम्बर 2012 के दौरान करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार परियोजना में सात भूखण्ड आवंटित कर दिए। यह आवंटन केन्द्रीय पर्यावरण विभाग से अगस्त 2010 में जारी आदेश की अवहेलना है। तुलसानी के अनुसार पर्यावरण विभाग ने करीब पांच साल बाद 11 अप्रेल 2017 को रीको लि.बीकानेर को पर्यावरण स्वीकृति जारी की, लेकिन रीको 59 माह बाद बीत जाने के बाद भी इसकी अनुपालना नहीं की जा रही है। वहीं पर्यावरण स्वीकृति के लिए रीको ने की जनसुनवाई में कारोबारी संगठनों को नहीं बुलाने के आरोप भी लगते रहे है।
नोटिस दर नोटिस
परियोजना क्षेत्र में पर्यावरण स्वीकृति की अनुपालना को लेकर रीको लि. बीकानेर को बीते समय में नोटिस दर नोटिस मिलते रहे है, लेकिन रीको नोटिस की पालना करने के बजाय मामले को लटकाए हुए है। बताया जा रहा है कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल बीकानेर, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर, पर्यावरण मंत्रालय लखनऊ आदि आधा दर्जन से अधिक नोटिस जारी कर चुके है। वहीं बीकानेर संभागीय आयुक्त और जिला कलक्टर भी पत्र लिख चुके है, लेकिन समस्या जस की तस है।
न बना सीइपीटी ना डम्पिंग यार्ड
पर्यावरण स्वीकृति में परियोजना क्षेत्र में सीइपीटी,एसटीपी, डम्पिंग यार्ड, औद्योगिक वेस्ट के परिवहन के लिए संसाधन, बारिश के पानी के लिए नालियों आदि की व्यवस्था करने का प्रावधान किए जाने की बात कही जा रही है। लेकिन परियोजना क्षेत्र में अब तक इनमें से एक भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।