बीकानेर

अनूठी आस्था…ऐसा मंदिर जहां भक्त भोग में चढ़ाते हैं प्याज

यह मंदिर जहां साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, वहीं यहां चढ़ने वाला भोग भी अनूठा है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से आने वाले भक्त यहां प्याज चढ़ाते हैं।

बीकानेरSep 09, 2023 / 01:46 pm

Ashish Joshi

अनूठी आस्था…ऐसा मंदिर जहां भक्त भोग में चढ़ाते हैं प्याज

गोगामेड़ी (हनुमानगढ़). हाथों में थामे विशाल निशान (गोेलगाछड़ी), नाचते-गाते, ढप व डमरू बजाते श्रद्धालुओं का सैलाब…। यह मंदिर जहां साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, वहीं यहां चढ़ने वाला भोग भी अनूठा है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से आने वाले भक्त यहां प्याज चढ़ाते हैं। एक महीने चलने वाले मेले में प्याज के ढेर लग जाते हैं। शुक्रवार को गोगानवमी पर एक दिन में यहां करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने लोक देवता गोगाजी के मंदिर में धोक लगाई। 30 अगस्त से शुरू हुआ यह मेला 29 सितम्बर तक चलेगा। उत्तरप्रदेश गोगाजी का ससुराल कहा जाता है। ससुराल पक्ष के लोग पीले वस्त्र में यहां पहुंच रहे हैं और भोग में खास तौर पर प्याज और दाल लेकर आए हैं। लोकमान्यता के अनुसार आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है। भक्त इन्हें गोगाजी चौहान, जाहर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।

लोक मान्यता : इसलिए चढ़ाते हैं प्याज और दाल

मंदिर व्यवस्था में जुटे नरेंद्र शर्मा बताते हैं, इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि करीब एक हजार साल पहले यहां गोगाजी और मोहम्मद गजनवी के बीच युद्ध हुआ था। गोगाजी ने विभिन्न स्थानों से सेनाएं बुलाई थीं। सैनिक अपने साथ रसद में प्याज और दाल भी लेकर आए थे। युद्ध में गोगाजी वीरगति को प्राप्त हुए। वापसी में सैनिकों ने प्याज और दाल गोगाजी की समाधि पर ही अर्पित कर दिए। तभी से इस जगह प्याज और दाल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। बुजुर्ग उनके घोड़े के लिए भी दाल चढ़ाने की बात कहते हैं। मंदिर में धोक देने के बाद वहीं बाहर मंडली में हवन कर उसमें भी प्याज आदि चढ़ाते हैं।

तीन दिन में पांच लाख से ज्यादा ने लगाई धोक

मंदिर में हिंदू और मुस्लिम (चायल) दोनों पुजारी पूजा करवाते हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल इस मंदिर में हिंदू, मुस्लिम और सिख तीनों भक्त शीश नवाते हैं। तीन दिन में पांच लाख से ज्यादा भक्तों ने पहले श्रीगोरख धूणा में धोक और बादमें विशाल निशानों के साथ गोगाजी मंदिर में पूजा अर्चना की। चायल पुजारी जमशेद ने बताया कि उत्तर भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर हैं जहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों पुजारी सेवा करते हैं। हिन्दू पुजारी कमल शर्मा ने बताया कि मेले के दौरान देवस्थान विभाग के पुजारी भी पूजा अर्चना-आरती करते हैं।

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