Diwali 2023 Puja Time: दीपावली आज, जानिए लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त, मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा
पितरों के मार्ग प्रशस्त के लिए हिंडोळ
पंडित किराडू के अनुसार, ब्रह्म पुराण के अनुसार आश्विन कृष्ण श्राद्ध पक्ष पितृ लोक से पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं। धार्मिक मान्यता अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पुन: पितृ लोक को जाते हैं। उस समय उन्हें मार्ग दिखाने के लिए उल्का दान अर्थात हिंडोळ जलाकर मार्ग दिखाया जाता है। इसका उल्लेख तुला संस्थे सहस्त्रांशे प्रदोषे भूत दर्शयो:, उल्का हस्ता नरा: कुर्यु: पितृणां मार्ग दर्शनम श्लोक में मिलता है। बाजरा के पौधे से सिट्टा अलग कर तीन से पांच फीट लंबी लकड़ी का उपयोग हिंडोळ के लिए किया जाता है। दीपावली के दिन सूती वस्त्र को बटकर लकड़ी के एक ओर बांध दिया जाता है। कपड़े की चार लडियां बनाकर डोरी से बांध दी जाती हैं। कपड़े को तेल में भिगोकर रखा जाता है। दीपावली पूजन के बाद तेल में भीगे हुए कपड़े को जलाया जाता है। जलते हुए हिंडोळ को पुरुष सदस्य घर के नजदीकी मंदिर तक लेकर जाते हैं। जलते हुए हिंडोळ को मंदिर के बाहर रख दिया जाता है। पुरुष सदस्य घर-परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। हिंडोळ को वापस घर लेकर नहीं आते हैं। मंदिरों के आगे दीपावली के दिन जलते हुए हिंडोळ की बड़ी संख्या रहती है।