डूबते व उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य छठ पूजा महापर्व के तहत 5 नवम्बर को नहाय खाय, 6 नवम्बर को खरना, 7 नवम्बर को शाम को सरोवर के जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य -पूजन और 8 नवम्बर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन के साथ व्रत की पूर्णाहुति होगी। सागर क्षेत्र िस्थत देवीकुण्ड सागर तालाब में छठ पूजा महापर्व के तहत सूर्य को अर्घ्य देने व पूजन का कार्यक्रम होगा। बच्चों और युवाओं की ओर से आतिशबाजी की जाएगी। सरस्वती पूजा समिति की ओर से सरोवर के घाट और तालाब परिसर की सफाई की गई है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निवास कर रहे प्रवासी परिवारों में छठ पूजा महापर्व को लेकर विशेष रौनक बनी हुई है।
श्रद्धा, सामूहिकता और प्रकृति से जुड़ाव का महापर्व सूर्यदेव की आराधना का महापर्व छठ पूजा आत्मिक शुद्धता और धैर्य का प्रतीक है। छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं बल्कि श्रद्धा, सामूहिकता और प्रकृति से जुड़ाव की भावना है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। इसे विशेष रूप से स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और शांति के लिए मनाया जाता है। छठ व्रती इसे जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं के प्रति कृतज्ञता और आत्मा की शुद्धि का पर्व मानते हैं। इस महापर्व में पारंपरिक गीतों की मधुर स्वर लहरिया व श्रद्धाभाव के साथ छठी मैया का पूजन विशेष है।