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बीकानेर

विपक्ष में हैं तो मसले और मसाले भी खूब हैं : सतीश पूनिया

लोकसभा प्रत्याशी के चयन पर कहा सभी विकल्प खुले

बीकानेरFeb 05, 2019 / 11:43 am

dinesh kumar swami

bjp leader satish poonia Interview

विपक्ष में हैं तो मसले और मसाले भी खूब हैं : सतीश पूनिया

बीकानेर . भाजपा के लोकसभा प्रवास कार्यक्रम के तहत बीकानेर आए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और आमेर विधायक सतीश पूनिया ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनाव के दौरान बेशक केन्द्र में कांग्रेस और प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। अब केन्द्र में भाजपा और राज्य में कांग्रेस की सरकार है। विपक्ष में होते हैं तो सामने बहुत से मसले और मसाले होते हैं। एेसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर २५ सीटों पर परचम फहराएगी।
पत्रिका- भाजपा के जेल भरो पर मुख्यमंत्री ने तीखा प्रहार किया है। इसे आप कैसे देखते हैं?
पूनिया- प्रदेश में कांग्रेस का पगफेरा ही खराब है। कांग्रेस सरकार विद्वेष से काम कर रही है। किसानों और नौजवानों से वादाखिलाफी कर रही है। इसकी कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ेगी। कर्जमाफी के मामले में कांग्रेस पूरी तरह से घिरी हुई है। इससे घबराकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तानाशाही भाषा बोल रहे हैं। अब घबराकर आनन-फानन में जीएसएस (ग्राम सेवा सहकारी समिति) को ढूंढना शुरू किया और दिखावटी सर्टिफिकेट किसानों को बांटेंगे।
पत्रिका- केन्द्र सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी की बातें हो रही है। चुनाव तक हालात कुछ बदलेंगे?
पूनिया- केन्द्र सरकार ने किसान को सम्बल देने के लिए छह हजार रुपए प्रति वर्ष देना तय किया। खेती घाटे का सौदा हो गई है। इससे उबारने के लिए खेती से जुड़े धंधों पशुपालन आदि को मजबूत करने की घोषणा की है।
पत्रिका- जेल भरो में कितने लोग गिरफ्तारी देंगे?
पूनिया- भाजपा के किसानों के समर्थन में जेलभरो आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा कार्यकर्ताओं को और जगा दिया। मुख्यमंत्री के बयान को कार्यकर्ताओं ने चुनौति के रूप में लिया है। वंशवाद और तानाशाही कांग्रेस की फितरत में है। इस तरह की मुख्यमंत्री की भाषा को लोकतंत्र में जायज नहीं कही जा सकती। हमारे इतने कार्यकर्ता गिरफ्तारी देंगे कि जेलों में जगह कम पड़ जाएगी।
पत्रिका- स्थानीय गुटबाजी पाटने को लेकर पार्टी कितनी गंभीर है ?
पूनिया- कभी भाजपा सत्ता से कोसों दूर थी। लोकतंत्र में सत्ता भी जायज उपक्रम है अपनी नीतियों को लागू करने का। सत्ता तक पहुंचने तक हमसे सभी तरह के लोग जुड़े हैं। सत्ता के साथ गुटबाजी जैसी विकृतियां भी आती है, अनुशासन हीनता भी दिखती है। फिर भी भाजपा का संगठन और विचार बड़ा है। जहां जरूरत लगती है हमने लोगों को जोड़ा है। पार्टी से बाहर हुए कितने वापस आएंगे इस पर विचार नहीं किया है। जो भाजपा से प्रेम करता है, मोदी से प्रेम करता है हमारी कोशिश उस तक पहुंचने की है।
पत्रिका- बीकानेर लोकसभा से कोई और विकल्प?
पूनिया- राजनीतिक में सभी विकल्प खुले होते हैं। लोकतांत्रित तरीके से जो कार्यकर्ता अपनी बात कहते है, उनकी हम सुनते हैं। प्रत्याशी का फैसला योगानुकूल और जीतने की संभावनाओं के आधार पर होता है। कोई भी पार्टी कार्यकर्ता बायोडाटा दे सकता है, उम्मीदवारी जता सकते हैं। फैसला पार्टी करेगी।

पत्रिका- मौजूदा सांसद से नाराज नेताओं को लेकर रणनीति क्या ?
पूनिया- हर चीज को गंभीरता से ले रहे हैं और लेंगे भी। जहां भी कोई उपक्रम और कवायद की आवश्यकता लगेगी, जरूर की जाएगी। किसी नेता की जरूरत है या नहीं है इसकी जगह नरेन्द्र मोदी के हाथ मजबूत हो, यह सोचना होगा। केन्द्र में भाजपा की वापसी हो इसी सोच से सबको सोचना चाहिए, इसी में सबका हित है।
पत्रिका- जाटों की नाराजगी कुछ दूर हुई या नहीं?
पूनिया- पार्टी और कार्यकर्ताओं का सबका नेता हूं। भाजपा को बिरादरी विशेष के साथ छत्तीस कोमों का साथ मिलता है। जाति में बांटने की राजनीति कांग्रेस करती है। जिस तरह का जातिगत तुष्टिकरण कांग्रेस करती है कम से भाजपा वैसा तो नहीं करती। जाटों सहित बहुत सारी जातियां किसान है। खेती से जुड़े ५२ करोड़ लोगों को केन्द्र की सरकार ने बजट में ऐतिहासिक प्रावधान किए हैं। लोकसभा चुनाव में किसान बिरादरी भी अच्छी तादाद में भाजपा के साथ लगेगी।

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