प्रदेश की राजधानी जयपुर में साल 2018 में 9812 रोगी सामने आए थे। इस साल पांच महीने में ही सालभर से अधिक 10 276 रोगी सामने आ चुके हैं। हालांकि यह विरोधाभास खुद ही स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े कर रहा है।
सामान्य व्यक्ति में टीबी रोग होने की संभावना जीवनकाल में 10 प्रतिशत रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, शुगर, कैंसर व एचआइवी, कुपोषण, नशे से पीडि़त लोगों के संक्रमित होने की आशंका अधिक रहती है।
जयपुर 9812
अजमेर 4041
जोधपुर 3830
अलवर 3458
हनुमानगढ़ 3173
बीकानेर 3008
श्रीगंगानगर 2850
चूरू 2013
बाड़मेर 1756
नागौर 1675 वर्ष 2019 में मई तक रिपोर्ट रोगी
जयपुर 10276
अजमेर 3581
जोधपुर 3508
अलवर 3893
हनुमानगढ़ 2227
बीकानेर 2371
श्रीगंगानगर 2529
चूरू 1524
बाड़मेर 1099
नागौर 2152
टीबी के रोगियों की संख्या बढऩे का कारण लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता बढऩा है। टीबी रोगी की पहचान करने वाले स्वास्थ्यकर्मी को प्रोत्साहन राशि देनी शुरू की है। भारत को टीबी मुक्त करने की मुहिम के तहत प्रदेश में एक से 17 जुलाई तक टीबी रोगियों की पहचान का पहला चरण चल रहा है।
डॉ. सीएस मोदी, जिला क्षय अधिकारी, बीकानेर
प्रत्येक टीबी रोगी की सीबीनॉट से जांच की जा रही है। एमडीआर टीबी का पता लगा रहे हैं। बीकानेर जिले में टीबी रोगी हैं, लेकिन जागरूकता आने से लोग अधिक संख्या में जांच कराने आ रहे हैं। बीकानेर में मरीजों के ठीक होने की दर घटना चिंता का विषय है। लोग टीबी का पूरा इलाज नहीं लेते, जिससे वे बार-बार टीबी की चपेट में आ रहे हैं।
डॉ. गुंजन सोनी, श्वसन एवं टीबी रोग विभागाध्यक्ष, पीबीएम अस्पताल