हत्यारिन माँ के गुनाहों की सजा भुगत रहा मासूम, बाप ने लगाईं थी मदद की गुहार और फिर…
एजुकेशन सिटी में काम कर रहे चार घुमंतू परिवार के बच्चों ने कभी नहीं सोचा था कि वे भी स्कूल जा सकेंगे। दरअसल, उनके माता-पिता को ही ये नहीं पता था कि पहली से आठवीं तक शिक्षा फ्री है और इसके अलावा किताब, कापी और कपड़े भी मुफ्त में सरकार की ओर से दिए जाते हैं।73 साल के पति को 65 साल की पत्नी पर था शक, हत्या कर घरवालों को बताया और निकल गया घूमने
इस बात से अनजान इन मजदूरों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में कभी सोचा ही नहीं। बच्चे भी उनके साथ एजुकेशन सिटी के पास बने झोपड़ों में रहते ओैर खेल कूदकर टाइम पास करते। बताते हैं कि 11 जुलाई को जब बीईओ मो जाकिर खान और सीएसी विजेन्द्र भदौरिया जब एजुकेशन सिटी के पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने स्कूल पढऩे लायक की उम्र के बच्चों को खेलते देखा और पूछताछ की।जब Boyfriend ने अपनी Girlfriend के पिता से फोन पर कहा-तेरी बेटी का यार बोल रहा हूं, और फिर…
वहीं गेबरा अमलीडीह के अन्य पिछड़ा वर्ग के गंगाप्रसाद वर्मा, गांव के अजजा वर्ग के रामचरण प्रधान एवं सामान्य वर्ग के सुनील भी एजुकेशन सिटी में अपनी-अपनी पत्नियों के साथ मजदूरी कर रहे हैं।दो साल पहले आए थे
ये परिवार दो साल पहले यहां आए थे। इसके पहले वे तीन साल तक कोण्डागांव में काम कर चुके हैं। अब इनके बच्चों के जन्मप्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास आदि जुटाए जाने होंगे। इन परिवारों ने माना कि भले ही वे काम से दूसरे स्थान की ओर चले जाएं लेकिन वे बच्चों को यहीं पढ़ाएंगे। आगे इनकी व्यवस्था आश्रमों या पोटा केबिनों मेंकी जाएगी।
आगे की भी व्यवस्था
इस बारे में बीजापुर बीईओ ने कहा कि बच्चों (Child labour) की शिक्षा की पूरी व्यवस्था की जाएगी। आगे की पढ़ाई के लिए प्रावधानों के अनुसार सुविधाएं दी जाएंगी। अभी इन्हें स्कूल भेजा जा रहा है। किसी भी सूरत में कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित ना रहे, इसी मकसद से दाखिला दिया गया है। ज्ञात हो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहाहै कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो।