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एजुकेशन सिटी में मजदूरी कि आग में झुलस रहे बचपन को बीइओ ने दिखाई नयी राह

Chhattisgarh: एजुकेशन सिटी में काम कर रहे चार घुमंतू परिवार के बच्चों (Child labour) ने कभी नहीं सोचा था कि वे भी स्कूल जा सकेंगे

बीजापुरJul 14, 2019 / 04:20 pm

Karunakant Chaubey

child labour

एजुकेशन सिटी में मजदूरी कि आग में झुलस रहे बचपन को बीइओ ने दिखाई नयी राह

बीजापुर. Chhattisgarh: जिले के बड़े प्रोजेक्ट एजुकेशन सिटी में इमारतें बना रहे मजदूरों के आठ बच्चे भी शिक्षा के अधिकार से दूर हो जाते, यदि विभाग के अफसरों ने सडक़ पर खेलते इन बच्चों (Child labour) की ओर गौर नहीं किया होता। एजुकेशन सिटी के मजदूरों के बच्चे ही स्कूली तालीम से महरूम।

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एजुकेशन सिटी में काम कर रहे चार घुमंतू परिवार के बच्चों ने कभी नहीं सोचा था कि वे भी स्कूल जा सकेंगे। दरअसल, उनके माता-पिता को ही ये नहीं पता था कि पहली से आठवीं तक शिक्षा फ्री है और इसके अलावा किताब, कापी और कपड़े भी मुफ्त में सरकार की ओर से दिए जाते हैं।

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इस बात से अनजान इन मजदूरों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में कभी सोचा ही नहीं। बच्चे भी उनके साथ एजुकेशन सिटी के पास बने झोपड़ों में रहते ओैर खेल कूदकर टाइम पास करते। बताते हैं कि 11 जुलाई को जब बीईओ मो जाकिर खान और सीएसी विजेन्द्र भदौरिया जब एजुकेशन सिटी के पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने स्कूल पढऩे लायक की उम्र के बच्चों को खेलते देखा और पूछताछ की।
पता चला कि वे पढ़ते ही नहीं हैं। तब उनके माता-पिता से संपर्क किया गया और उन्हें बच्चों पढ़ाने की समझाइश दी गई। इस पर वे मान गए और फिर बच्चों का अस्थायी दाखिला बीईओ मो जाकिर खान ने पास के ही गांव नुकनपाल की प्राथमिक शाला में करवा दिया। छुईंया गांव बिलईगढ़ बलौदाबाजार के अजजा वर्ग के मजदूर मोहन सिंह नागेश के चार बच्चे अंजलि (12), संतोष (10), मनीष (8) एवं सन्नी (6) सभी प्राथमिक शाला में दाखिले के लायक के उम्र के हैं।

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वहीं गेबरा अमलीडीह के अन्य पिछड़ा वर्ग के गंगाप्रसाद वर्मा, गांव के अजजा वर्ग के रामचरण प्रधान एवं सामान्य वर्ग के सुनील भी एजुकेशन सिटी में अपनी-अपनी पत्नियों के साथ मजदूरी कर रहे हैं।
गंगाप्रसाद की बेटी सोनिका(7), रामचरण के बेटे वीरेन्द्र(6) एवं सुनील के बेटे रूपेन्द्र (6) को भी नुकनपाल प्राथमिक शाला में अस्थायी दाखिला दिया गया। अब इन बच्चों के अभिभावकों ने कहा है कि सरकार ने जो पहल की है। उसका वे सम्मान करेंगे। बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएंगे।

दो साल पहले आए थे

ये परिवार दो साल पहले यहां आए थे। इसके पहले वे तीन साल तक कोण्डागांव में काम कर चुके हैं। अब इनके बच्चों के जन्मप्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास आदि जुटाए जाने होंगे। इन परिवारों ने माना कि भले ही वे काम से दूसरे स्थान की ओर चले जाएं लेकिन वे बच्चों को यहीं पढ़ाएंगे। आगे इनकी व्यवस्था आश्रमों या पोटा केबिनों में
की जाएगी।

आगे की भी व्यवस्था

इस बारे में बीजापुर बीईओ ने कहा कि बच्चों (Child labour) की शिक्षा की पूरी व्यवस्था की जाएगी। आगे की पढ़ाई के लिए प्रावधानों के अनुसार सुविधाएं दी जाएंगी। अभी इन्हें स्कूल भेजा जा रहा है। किसी भी सूरत में कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित ना रहे, इसी मकसद से दाखिला दिया गया है। ज्ञात हो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहाहै कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो।

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