प्रभु की रीति नीति सबसे अलग…
यूं तो ऐसा हर साल होता है पर अबकी कोरोना के कारण यह रोचक होने के साथ ही शिक्षाप्रद भी है। इस दिन महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को 108-108 गड़ुवा से स्नान कराया जाता है। फिर वस्त्र पहना कर उनका हाथीवेश श्रद्धालुओं के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इस बीच पांच से छह लाख लोग श्रीजगन्नाथ मंदिर के सामने ग्रांड रोड जिसे बड़दंड कहा जाता है वहां पर एकत्र होकर अपने महाप्रभु उनके भाई व बहन के दर्शन करते हैं।
प्रभु की लीला अपार…
एक और रोचक किस्सा यह भी है कि स्नानोपरांत महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा को बुखार हो जाता है और तीनों ही 14 दिनों के लिए एकांतवास में पुनः स्थापित कर दिए जाते हैं। पुरी में श्रद्धालुओं के लिए श्रीमंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। उनका विधिवत इलाज किया जाता है। नियमित रूप से वैद्य आकर काढ़ा देते हैं। कोरोनाकाल में ओडिशा में कहा जा रहा है कि जब उनके महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा 14 दिन के लिए क्वारंटाइन में जा सकते हैं तो फिर कोरोना से बचने के लिए साधारण मनुष्य क्यों नहीं जा सकते?
सेवायत करेंगे सेवा…
ओडिशा में इसे लोग प्रतीकात्मक क्वारंटाइन मानते हुए भगवान की लीला बताते हैं। अबकी स्नान पूर्णिमा वाले रोज यानी पांच जून को सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए महाप्रभु की सेवा के 36 नियोग के न्यूनतम सेवायतों को सेवा के लिए रखा जाएगा। स्नान पूर्णिमा की परंपरा के लिए दस नियोगों के सेवायतों की अंतिम सूची 25 मई तक श्रीमंदिर प्रशासन को सौंप दी जाएगी। स्नानपूर्णिमा का आयोजन का तो फैसला लिया जा चुका है लेकिन यह प्रतीकात्मक होगा।
श्रीमंदिर मुख्य प्रशासक कृष्णकुमार ने बताया कि मंदिर के व्यवस्थापक ने महाप्रभु जगन्नाथ उनके अग्रज बलभद्र और बहन सुभद्रा के स्नान पूर्णिमा में भाग लेने के लिए सेवादारों की सूची मांगी है। वह कहते हैं कि कम से कम सेवायतों को बुलाया जाएगा। इसके लिए पास जारी किए जाएंगे। इस समारोह को देखने के लिए श्रद्धालुओं के प्रवेश पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। रथयात्रा के दौरान दइतापति नियोग महत्वपूर्ण हो जाता है। संभावना व्यक्त की गई है कि समस्त धार्मिक अनुष्ठान श्रीमंदिर परिसर के भीतर किए जाने पर भी निर्णय लिया जा सकता है। इसी 31 मई तक इस पर निर्णय लिया जा सकता है। सेवायतों के साथ कोविड-19 पर ओरिएंटेशन सेशन आयोजित किया गया है।
एहतियात के साथ हो रहा रथ निर्माण…
जिलाधिकारी बलवंत सिंह ने बताया कि रथ निर्माण प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए कराया जा रहा है। सभी का पूरा सहयोग मिल रहा है। बताया गया है कि सेवायतों का भी कोविड-19 टेस्ट किया गया पर ये सब निगेटिव आए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पुरी के जिलाधिकारी ने बताया कि रथनिर्माण समय पर पूरा हो जाएगा। ऐसा उनका विश्वास है। सेवायतों का कहना है कि व्यवस्था से वे लोग संतुष्ट हैं। श्रीमंदिर परिसर के भीतर की सुरक्षा व्यवस्था प्रतिहारी सेवायतों के जिम्मे रहेगी। इनके हाथ में एक-एक बेंत रहेगा।
इस बीच श्रद्धालुविहीन रथयात्रा का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें रथ को सेवायत ही खींचकर गुंडिया मंदिर तक ले जाएंगे। बाहुड़ा यात्रा वाले रोज रथयात्रा वापस श्रीमंदिर लाया जाएगा। संचालन समिति और छत्तीस नियोग की बैठक के बाद रथयात्रा की अनुमति का प्रस्ताव जिला कलक्टर को प्रस्ताव भेजा जाएगा।