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भोपाल

लजीज पैकेज्ड फूड के दीवाने युवा,महीने में 15 दिन कर रहे डिब्बाबंद भोजन

भोजन एक आवश्यकता नहीं भावना है। इसलिए मांए घर के भोजन को तरजीह देती रही हैं। लेकिन अब भोपालवासियों को घर की थाली का स्वाद नहीं भा रहा। युवा और कामकाजी महिलाएं और छात्र महीने में 15 दिन शाम को डिब्बाबंद भोजन से काम चला रहे हैं।

भोपालApr 12, 2024 / 01:08 am

Mahendra Pratap

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भोपाल. भोजन एक आवश्यकता नहीं भावना है। इसलिए मांए घर के भोजन को तरजीह देती रही हैं। लेकिन अब भोपालवासियों को घर की थाली का स्वाद नहीं भा रहा। युवा और कामकाजी महिलाएं और छात्र महीने में 15 दिन शाम को डिब्बाबंद भोजन से काम चला रहे हैं। क्योंकि इन खाद्य पदार्थो को तैयार करने में कोई समय नहीं लगता।
यह है पसंद
सूप मिक्स, गर्मागर्म करी और चावल,स्वादिष्ट स्नैक्स, वैकल्पिक पेय पदार्थ,छाछ मसाला, दलिया,मल्टीग्रेन पफ, मिक्स वेजीटेबल और ब्रेड।
यह है वजह
शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव से बढ़ती थकान, आरामदेह जीवनशैली, लगातार काम के घंटे और मेहनत से जी चुराने की प्रवृत्ति के साथ फूड डिलेवरी एप की वजह से होम डिलीवरी के बेहतर विकल्प।
फूड डिलिवरी पर औसतन 977 रुपए खर्च
अर्बन एलिट क्लास ने हर व्यक्ति करीब 971 रुपए प्रति माह फूड डिलिवरी पर खर्च कर रहाह । इस खर्च में 18 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
प्रोसेस्ड फूड के खर्च में 2.2 गुना बढ़ोतरी
एक रिपोर्ट बताती है कि शहरी एलिट क्लास अपने फूड बजट का आधा पैकेज्ड फूड, रेस्टोरेंट और फूड डिलीवरी पर खर्च कर रहे हैं। जैसे-जैसे परिवार की आय बढ़ रही है, खाने-पीने के ट्रैंड में तेजी से बदलाव आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार प्रोसेस्ड फूड पर होने वाले खर्च में 2.2 गुना बढ़ोतरी हुई। जबकि मिडल-इनकम परिवारों में यह 3.3 गुना बढ़ गया। प्रोसेस्ड फूड और पेय पदार्थों पर मिडल-इनकम वाले परिवारों द्वारा अपने खाने-पीने के बजट के हिस्से के रूप में खर्च 16 प्रतिशत से बढकऱ लगभग 25 प्रतिशत हो गया है।
पैकेज्ड फूड खाने से पहले जान लें
पैकेज्ड फूड में बेहद खराब सामग्री, प्रिज्वर्ड सामग्री, ढेर सारी चीनी और सोडियम मिलाया जा रहा है। आर्टिफिशल प्रिजर्वेटिव खाने की रासायनिक संरचना को बदल देते हैं। कृत्रिम प्रिजर्वेटिव्स शरीर में सोडियम और सैचुरेटेड फैट की मात्रा को बढ़ाते हैं, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। यह शरीर में इनफ्लामेशन को भी बढ़ाता है और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा हो जाता है। शरीर में टॉक्सिन की मात्रा को भी बढ़ाता है। ऐसे फूड अस्थमा, अतिसंवेदनशीलता, एलर्जी, हाइपरऐक्टिविटी, मानसिक क्षति और वजन बढ़ाते हैं। नूडल्स और सूप में मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है, जिससे कमजोरी, सिर दर्द, घबराहट, जी मिचलाना, सांस बहुत कुछ कहती है ये रिपोर्ट
स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के अनुसार, पैकेज्ड फूड बाजार का मूल्य 2022 में भारत में 4 ट्रिलियन रुपए से अधिक था। जो 2026 में बढकऱ 5 ट्रिलियन रुपए से अधिक हो जाएगा। लेने में परेशानी हो सकती है। बच्चों के लिए भी ये नुकसानदायक है।
10 सेकेंड का फैसला खतरनाक
कोई भी ग्राहक फ़ूड आइटम का एक पैकेट खरीदने में महज 6-10 सेकेंड का वक्त लगाता है। वह ज़्यादा से ज़्यादा उसकी एक्सपायरी डेट देखता है और उसकी कीमत। लेकिन पैकेट के पीछे की साइड पर लिखी तमाम जरूरी जानकारियोंं को नजरअंदाज कर देता है। लेकिन इसे पढऩा आ जाए तो शायद पैकेज्ड फूड का पैकेट न खरीदेंं

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