इंटरनेशनल डाटा कॉर्पोरेशन (आइडीसी) व स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर घंटे 504 करोड़ जीबी डाटा जनरेट हो रहा है। दुनिया में 94 लाख करोड़ जीबी से ज्यादा डाटा स्टोर है। इससे विश्व में एक लाख विमानों के उड़ान भरने में जितना प्रदूषण फैलता है, उससे 1.48 गुना ज्यादा स्टोर डाटा से फैल रहा है। नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी कनाडा के मुताबिक दुनिया में हर सेकंड 1 व्यक्ति 1 एमबी डाटा जनरेट कर रहा है। अभी ग्लोबल कार्बन एमिशन में स्टोर डाटा का योगदान 4% है। यही स्थिति रही तो 2040 तक ग्लोबल कार्बन एमिशन 14% तक होगा।
दुनिया में 10 हजार बड़े डाटा सेंटर्स हैं। सबसे बड़ा सेंटर 130 फुटबॉल मैदान के बराबर है। टॉप बड़े डाटा सेंटर्स में चीन-अमरीका का दबदबा है। सबसे ज्यादा 2,701 डाटा सेंटर अमरीका में हैं। जर्मनी में 487, ब्रिटेन में 456, चीन में 443, कनाडा में 328 और भारत में 138 सेंटर्स हैं। दुनिया में रोज 25 करोड़ जीबी से ज्यादा डाटा प्रोड्यूस होता है। इसमें 15% ओरिजनल व 85% कॉपी पेस्ट है। इन सेंटर्स पर 90% बिजली की फिजूलखर्ची है, क्योंकि 90% अव्यवस्थित है।
प्रदूषण फैलने के कारण
-24 घंटे सिस्टम चालू रहने से 18 करोड़ टन कोयले की खपत।
-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ठंडा रखने दिन-रात चलने वाले एसी से निकल रही क्लोरो-फ्लोरो गैस ओजोन परत को कमजोर कर रही है।
-डीजल का भारी मात्रा में उपयोग ट्रांसफार्मर को रिलीफ देने के लिए किया जाता है।
-उपकरणों को हर 4 साल में बदलने से ई-वेस्ट बढ़ रहा है।
208 देशों की सालाना डिमांड से ज्यादा बिजली
ब्रिटेन, सउदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल समेत 208 देशों में सालाना डिमांड से ज्यादा बिजली डाटा सेंटर्स में खप रही है। इसके लिए हर साल दुनिया की औसत सालाना बिजली आपूर्ति के 2.5% (3.50 लाख) गीगावॉट की जरूरत है। इसके लिए 17.50 करोड़ टन कोयला लगता है।
डाटा पॉल्यूशन
डॉ. जय त्रिलोक चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, मैनिट, का कहना है कि भोपाल डाटा पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए वेब सर्वर यूजर से उसके डाटा का रिव्यू लें। डाटा को हाई, मीडियम, लो रिक्वायरमेंट में बांट लें। लो रिक्वायरमेंट डाटा को सर्वर से डिलीट कर सकते हैं। इससे लोड कम होगा।