देश में अब केवल विशेष अवसरों के बजाय रोजमर्रा के उपभोग के लिए आम लोग चॉकलेट खरीद रहे हैं। चॉकलेट उद्योग को चलाने वाला एक अन्य प्रमुख कारक देश की बड़ी युवा आबादी है जो चॉकलेट के लिए एक प्रमुख उपभोक्ता वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। वर्तमान में भारत में कुल जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु का है और दो तिहाई 35 वर्ष से कम आयु के हैं। बाजार को चलाने वाले अन्य कारकों में बदलती जीवनशैली, पश्चिमीकरण, खाद्य सेवा क्षेत्र की वृद्धि, मूल्य संवर्धन आदि शामिल हैं।
भारत में चॉकलेट बाजार मोंडेलेज, फेरेरो, नेस्ले, मार्स और अमूल जैसी अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय कंपनियों चॉकलेट निर्माण कर रही हैं। देश में तीन प्रमुख प्रकार यानी मिल्क चॉकलेट, वाइट चॉकलेट और डार्क चॉकलेट है। मिल्क चॉकलेट सबसे लोकप्रिय है, जिसकी कुल बिक्री में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसके बाद वॉइट चॉकलेट 16 प्रतिशत और डार्क चॉकलेट 9 प्रतिशत की खपत है।
मिल्क चॉकलेट-
इसमें कम से कम 12 प्रतिशत दूध होता है। कम से कम 10 प्रतिशत चॉकलेट लिकर, शुद्ध कोकोआ मक्खन और कोको ठोस होना चाहिए, हालांकि उच्च गुणवत्ता वाली दूध चॉकलेट में 30-40 प्रतिशत तक होता है कोको। बाकी में चीनी और कभी-कभी वेनिला या इमल्सीफायर शामिल होते हैं।
सफेद चॉकलेट-
यह शुद्ध कोकोआ मक्खन और चीनी से बनती है। इसमें कम से कम 20 प्रतिशत कोकोआ मक्खन और 14 प्रतिशत दूध, क्रीम, या दूध के ठोस पदार्थ हैं। अक्सर इसमें वेनिला मिलाया जाता है।
डार्क चॉकलेट-
ऐसी चॉकलेट जिसमें कम से कम 35 प्रतिशत चॉकलेट लिकर हो उसे डार्क चॉकलेट कहा जा सकता है। डार्क चॉकलेट बिना दूध के ठोस पदार्थ मिलाई गई चॉकलेट है। डार्क चॉकलेट बार में मूल सामग्री कोको बीन्स, चीनी और स्वाद के लिए सोया लेसिथिन जैसा इमल्सीफायर होता है।