बता दें कि, इस संबंध में एमपी पुलिस ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिये हैं। हालांकि, निर्देश सिर्फ उन मामलों के लिए हैं, जिनमें लिव-इन पार्टनर बालिग हैं या होंगे। महिला सुरक्षा शाखा ने पिछले तीन वर्षों में दर्ज हुए दुष्कर्म के मामलों में मिला सजा का अध्ययन किया है। मामले में अपराधियों को सजा की दर सिर्फ 30-35 फीसदी पाई गई है। महिलाओं के बयान पर पलटने से कई बार आरोपी बच जाते हैं। इससे पुलिस प्रशासन की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है।
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गृहमंत्री ने कही ये बात
वहीं, इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि, ऐसे केस को लेकर पूरा डिटेल हमारे पास आ चुका है। ज्यादातर मामलों में कुछ गलतियां पाई जाती है। इनमें से अदिकतर मामलों में संदिग्ध पलट जाते हैं या बयान बदल दिए जाते हैं। अब तय किया गया है कि, पहले पूरे मामले की तहकीकात होगी। पूरे मामले की तह तक जाने के बाद ही अब कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद देशभर में मध्य प्रदेश सभंवतः पहला ऐसा राज्य होगा, जहां लिव इन में रहने वालों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी।