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हर 20 मिनट में यहां कॉल करके मदद मांगती है महिला
प्रदेश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, बीते साल महिला सुरक्षा से संबंधित हेल्पलाइन नंबर 1090 पर करीबन हर 20 मिनट पर किसी ना किसी पीड़ित महिला की कॉल आई। इनमें ज्यादातर शिकायते यौन उत्पीड़न और मोबाइल पर धमकी से संबंधित थीं। रिपोर्ट मे ये खुलासा भी हुआ कि, जो मध्य प्रदेश साल 2015-16 में देश की महिलाओं के लिए सबसे कम सुरक्षित राज्यों की सूची में चौथे स्थान पर था, वही 2017 में तीसरे स्थान पर आ गया। यही नहीं इस बार भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की सूची में मध्य प्रदेश पहले पायदान पर आ पहुंचा है। आंकड़ों के जारी होने के बाद महिला सुरक्षा को लेकर आए दिन सामने आने वाले सरकारी दावों की पोल खोल दी है।
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8 फीसदी से भी ज्यादा बढ़े महिला अपराध
बता दें कि, साल 2016 में इसी तरह के 2 हजार 479 मामले सामने आए थे। इस लिहाज से पिछले साल की तुलना में महिला अपराध 8.3 फीसदी बढ़ोतरी हुई, जो लगातार अब भी जारी है। रिपोर्ट के जरिये ये बात भी सामने आई थी कि, मध्यप्रदेश में 16 साल तक की नाबालिग लड़कियों से कुल 3,082 अपराध हुए हैं। इसमें 6 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दरिंदगी के भा 50 मामले थे। जबकि 6 से 12 साल तक की बच्चियों के साथ 207 मामले और 12 से 16 साल तक की लड़कियों के साथ दरिंदगी के 1,275 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा, 16 से 18 साल तक की लड़कियों के साथ 1 हजार 550 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे।
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बच्चियों और महिलाओं से अपराध के मामले बढ़े
मध्य प्रदेश में बच्चियों और महिलाओं से अपराध के मामले तो बढ़े ही हैं, लेकिन मामलों में पुलिस की जांच की रफ्तार सुस्त दिखाई दे रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले सालों में भी अभी रेप के 14 हजार 406 मामलों की जांच पेंडिग है। इसमें भी 12 हजार 531 महिलाओं से बलात्कार के जबकि 1,875 मामले लड़कियों से रेप के हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में 8.3 प्रतिशत अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। अगर कुल अपराधों की बात करें, तो यहां 2016 में 26 हजार 604 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2017 में बढ़कर 29 हजार 788 तक पहुंच गए, जो काफी चौंकाने वाले हैं।
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इनका कहना है
इन आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आता है कि, साल दर साल महिला अपराध में बढ़ोतरी हो ही रही है। जिसमें पुलिसिया रवैय्या काफी सुस्त नजर आ रहा है। वहीं, पुलिस की माने तो उनका कहना है कि, 1090 राज्य महिला हेल्पलाइन पर मिलने वाली शिकायतों के समाधान के लिए वो हमेशा तत्पर रहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब बात शिकायत दर्ज कराने की आती है तो ज्यादातर शिकायतकर्ता ही पीछे हट जाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ 1090 महिलाओं हेल्पलाइन की उप अधीक्षक (डीएसपी) सुनीता कॉर्नेलियस ने साल 2015 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, क्योंकि उसी साल से ये हेल्पलाइन शुरु की गई थी, जबकि उस समय लोगों में अवेयरनेस काफी ज्यादा थी। बावजूद इसके उस साल 24,467 शिकायतों में से सिर्फ 836 केस ही दर्ज किए गए, जबकि साल 2014 में 23,340 शिकायतों में से सिर्फ 876 केस दर्ज हुए। यानी साफ है कि, इतनी शिकायतें तो सामने आईं, लेकिन इनमें सिर्फ 5 फीसदी लोग ही केस दर्ज कराते हैं। इसके अलावा दर्ज की गई शिकायतों में करीबन 20 फीसदी तो जांच में झूठी पाई गईं थी।